आस्था से खिलवाड़ करती फ़िल्म ‘केदारनाथ’
देहरादून/मुम्बई। बॉलीवुड की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म ‘केदारनाथ’ बड़े पर्दे पर रिलीज हो चुकी है। इस फ़िल्म को देखने के बाद दर्शकों को मायूसी हाथ लगी। चूंकि जैसा इस फ़िल्म के बारे में सोचा गया था, वैसा इस फ़िल्म में कुछ भी दिखाया नहीं गया। ऐसा प्रतीत होता है मानों ये फ़िल्म करोडों श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ कर रही हो।
अभिषेक कपूर की निर्देशन में बनी फिल्म केदारनाथ फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने वाली सारा अली खान और सुशांत सिंह राजपूत फिल्म में लीड रोल में हैं। यह फिल्म उत्तराखंड में हुई केदारनाथ त्रासदी के दौरान दो लोगो के प्रेम की कहानी बयां करती है। इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत (मंसूर) और सारा अली खान (मक्कू) का किरदार निभा रही है। जैसे की नाम से ही पता चल रहा है कि इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत एक मुस्लमान लड़के का किरदार निभा रहे है।
वहीं दूसरी तरफ सारा अली खान उर्फ मक्कू केदारनाथ के एक पडिंत की बेटी का किरदार निभा रही है। मक्कू और मंसूर एक- दूसरे से प्यार कर बैठते है, लेकिन धर्म अलग- अलग होने की वजह से दोनों एक नहीं हो पाते है। इसके बाद मक्कू की जबरन शादी करवा दी जाती है। सब खत्म हो जाता है, दोनों के सारे सपने बिखर जाते है, और फिर आती है उत्तराखंड के केदारनाथ धाम की सबसे बड़ी त्रासदी जिसे आज तक वहां के लोग अपने जहन से नहीं निकाल पाये है। त्रासदी के दौरान काफी कुछ होता है, लेकिन सिर्फ वही नहीं होता जो एक बतौर दर्शक की उम्मीद थी।
बता दें कि इस फिल्म में जिस तरह से साऱा अली खान ने अपना अभिनय किया है, वह वाक्य काबिलय तारीफ है। फिल्म के हर सीन में पूरी तरह से सारा ने अपनी जान डाल दी है। वह जितनी खूबसूरत है उतनी ही खूबसूबरत उनकी एक्टिंग भी है। सारा ने फिल्म केदारनाथ से यह साबित कर दिया है कि वह एक बेहद मंझी कलाकार है। वहीं दूसरी तरफ सुशांत सिंह राजपूत ने भी अपने किरदार को बाखूबी निभाया है।
लेकिन यह फिल्म दर्शको को लुभाने में नाकाम साबित हुई है। क्योंकि इस फिल्म में न तो प्रेम कहानी को सही ढंग से फिल्माया गया है, न ही उत्तराखंड में हुई केदारनाथ त्रासदी को बाखूबी दिखाया गया। अभिषेक कपूर इस बार अपने निर्देशन में चूकते हुए नजर आये। फिल्म केदारनाथ दर्शको पर अपनी छाप छोड़ने में पूरी तरह से नाकाम रही है। इस फिल्म के गाने भी दर्शको पर अपना जादू नहीं चला पायें। लेकिन अगर आपको उत्तराखंड की खूबसूरती देखनी है तो आपको इस फिल्म में कई ऐसे नजारे देखने को मिलेंगे, जो वाक्य बेहद लुभावने है।
केदारनाथ फ़िल्म की जब घोषणा हुई तब कहीं एक उम्मीद जागी कि भारतीय सिनेमा ने भारतीय परिपेक्ष्य में भी प्राकृतिक आपदाओं पर एक पूरी फ़िल्म बनाने की हिम्मत दिखाना शुरू कर दी है। इसी त्रासदी पर फ़िल्म ‘केदारनाथ’ आधारित है। मगर कुल मिलाकर मामला टोटल फ़िल्मी निकला! एक बोझिल सी प्रेम कथा जिसे देखना पहाड़ पर चढ़ने जितना ही थकाऊ था और अंत में बच्चों के कार्टून चैनल्स के ग्राफिक्स को टक्कर देते विज़वल इफेक्ट्स और फ़िल्म खत्म हो जाती है।
फ़िल्म की कहानी बेहद ही कमजोर है कहीं न कहीं लव जिहाद जैसे मुद्दे को भी हवा देती है। यही वजह से की इस फ़िल्म के प्रदर्शन पर उत्तराखंड के 7 जिलों में रोक लगा दी गयी है। वहीं भविष्य में उत्तराखंड में फिल्मायी जाने वाली फिल्मों को लेकर राज्य सरकार ने अपना रूख कड़ा कर दिया है। फ़िल्म में केदारनाथ आपदा को गलत तरीके से दर्शाया गया है। फ़िल्म की कहानी के अनुसार एक लड़की केदारनाथ दर्शन करने जाती है, वहां मुस्लिम कुली से उसको प्यार हो जाता है। लड़की का बाप कहता है ‘ये रिश्ता हुआ तो प्रलय आ जायेगी। लड़की कहती है। ‘फिर तो मैं प्रार्थना करती हूं कि प्रलय आये’। बादल फट जाता है, पूरा केदारनाथ डूब जाता है और वो मुस्लिम कुली दूसरे किसी मदद करने की बजाय सिर्फ हीरोइन को बचाता है और लड़की के बाप को दिव्य ज्ञान प्राप्त होता है कि प्रेम में जाती धर्म नहीं होता और हमारा देश गंगा जमुनी तहजीब वाला देश है (जैसे दिल्ली के अंकित सक्सेना को ज्ञान प्राप्त हुआ था) ।
वो अपनी लड़की का निकाह उस कुली से करवा देता है ।ये कहानी है फ़िल्म केदारनाथ की। फ़िल्म से एक सीख और मिलती है कि हिन्दुओ ने अपनी लड़की का निकाह मुसलमानो से नहीं कराया तो प्रलय आयेगी। बॉलीवुड वाले क्या गुल खिला सकते हैं, समझ से बाहर है। केदारनाथ त्रासदी में करीब एक लाख लोग मारे गए,
कइयों के तो शव भी नहीं मिले आज तक। पूरा देश खून के आंसू रोया था, जैसे अपना कोई सगा वाला मरा हो ।
इतनी भयानक घटना पर फ़िल्म भी बनाई तो उसमें भी लव जिहाद का जहर घोल दिया। केदारनाथ पर फ़िल्म ही बनानी थी तो सेना ने अपनी जान पर खेलकर कैसे लोगों की जान बचाई ये बताते। सेना का पराक्रम बताने की बजाय एक मुस्लिम कुली को महान बता दिया। ये वो फिल्मकार है जो पैसों की खातिर कुुुछ भी कर सकते हैं, फिर चाहे करोडों लोगों की आस्था को ही ठेस क्यों न पहुंचे। क्या फिल्म का नाम ‘केदारनाथ’ रखकर भी ऐसी घटिया फिल्म बनायीं जा सकती है?
कलाकार – सुशांत सिंह राजपूत , सारा अली खान
निर्देशक – अभिषेक कपूर
मूवी टाइप – रोमांस
अवधि- 2 घंटा 24 मिनट
रेटिंग- 1.5 स्टार