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आतंकी हमले के बाद किसानों का फैसला, पाकिस्तान नहीं भेजेंगे टमाटर

झाबुआ। पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में अर्ध सैनिक बल सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा बढ़ा है। हर कोई अपने गुस्से का इजहार अपने तरीके से कर रहा है। ऐसे में अन्नदाता ने अपने तरीके से आक्रोश जताया है। मध्यप्रदेश के झाबुआ के किसानों ने फैसला किया है कि वे अपने पेटलावद टमाटर पाकिस्तान नहीं भेजेंगे। बता दें कि पेटलावद तहसील में पैदा होने वाले टमाटर पाकिस्तान में बहुत मशहूर हैं। झाबुआ के किसानों ने निर्णय किया है कि उनके टमाटर चाहे सड़ जाएं या उन्हें फेंकना पड़े, लेकिन आतंकियों को पालने वाले देश में वे अपने टमाटर नहीं भेजेंगे।

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झाबुआ जिले के पेटलावद तहसील में पैदा होने वाली टमाटर हर साल बड़ी मात्रा में पड़ोसी देश को निर्यात की जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक झाबुआ के किसानों का कहना है कि पाकिस्तान हमारे जवानों को बेरहमी से मार रहा है। ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए। इसीलिए हमने पाकिस्तान को टमाटर भेजने पर रोक लगा दी है। गौरतलब है कि यहां के किसानों ने बीते कुछ साल में पाकिस्तान को टमाटर निर्यात कर काफी मुनाफा कमाया है।
पेटलावद के टमाटर चटक लाल रंग के होते हैं। इन टमाटक के खट्टे-मीठे स्वाद की वजह से पाकिस्तान में इसे बहुत पसंद किया जाता है। इस टमाटर का वजन 50 ग्राम से लेकर 150 ग्राम तक होता है। बता दें कि तीन साल पहले हुए उरी हमले के बाद भी यहां के किसानों ने पाकिस्तान को टमाटर भेजना बंद कर दिया था। झाबुआ के किसानों ने मोदी सरकार से अपील की है कि क्षेत्र के टमाटरों को बेचने के लिए खाड़ी देशों या अन्य जगह पर नए बाजार को खोज की जाए।
झाबुआ जिले के पेटलावद में टमाटर की अच्छी पैदावार होती है। प्रति बीघा 600 से 800 कैरेट का उत्पादन होता है। यदि पानी भी अच्छी आपूर्ती हो तो उत्पादन 1000 से 1200 कैरेट तक भी पहुंचा जाता है। पूरे सीजन में प्रति बीघा टमाटर उत्पादन में 50 से 75 हजार रुपए तक का खर्चा आता है। इसमें दवाई, मजदूरी, बीज, तार, बांस, सुतली, खाद, कैरेट, परिवहन आदि शामिल है। यहां पैदा होने वाली टमाटर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, रतलाम और गुजरात की मंडियों में बिक्री के लिए जाती है।
किसान यूनियन संघ के जिलाध्यक्ष महेंद्र हामड़ के मुताबिक पाकिस्तान में पेटलावद टमाटर 200 से 250 रुपए प्रति किलो तक भी बिका है। इससे बड़ी बात और क्या होगी। लेकिन अब भले ही किसानों को घाटा हो, तो भी वह अपने उपज को दुश्मन के यहां नहीं बेचेंगे। पेटलावद का टमाटर पहले दिल्ली मंडी पहुंचता है। फिर पठानकोट के रास्ते पाकिस्तान भेजा जाता है। करीब दो साल पहले भी टमाटर नहीं भेजने का फैसला लिया था। लेकिन फिर भी दिल्ली से पठानकोट के रास्ते टमाटर भेज दिया जाता था। किसानों का कहना है वे जिस भी व्यपारी को टमाटर बेचेंगे उनसे अपील करेंगे कि इसे पाकिस्तान नहीं भेजा जाए।

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