देहरादून। राजधानी देहरादून में स्पेशल सीबीआई कोर्ट रूम बृहस्पतिवार को अपनी तरह की पहली घटना का गवाह बना। रिश्वत लेने के आरोप में पेशी पर लाए गए एमईएस के एक इंजीनियर ने जज के सामने अपनी गलती कबूल कर ली। कहा, ‘मुझे इस बात का पछतावा है कि मैंने रिश्वत ली। मुझे बचाव में कोई वकील नहीं चाहिए। जज साहब मेरा अभी निपटारा कर दो’। अदालत में इस मामले में शुक्रवार को भी सुनवाई होगी।
सरकारी ठेकेदार हिमांशु तिवारी की शिकायत पर बुधवार को सीबीआई ने मिलिट्री इंजीनियर सर्विस के असिस्टेंट गैरिसन इंजीनियर (एजीई) केके सिंघल और जूनियर गैरिसन इंजीनियर (जेजेई) जहांगीर अहमद को 20-20 हजार रुपये की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया था। डील परिसर (रायपुर) में गिरफ्तारी के बाद दोनों के सरकारी आवासों और कार्यालयों में भी छापा मारा गया। उसके बाद बृहस्पतिवार को दोनों आरोपियों को स्पेशल सीबीआई जज सुजाता सिंह की अदालत में पेश किया गया।
सीबीआई के वकील सतीश अरोड़ा ने बताया कि कोर्ट में आरोपियों की न्यायिक हिरासत की मांग की। इस पर जज ने आरोपी से आरोप के बारे में पूछा तो उसका पछतावा जुबान पर आ गया। आरोपी केके सिंघल ने कोर्ट रूम में अपनी गलती स्वीकार की। उन्होंने कहा कि ‘मुझे इस बात का पछतावा है कि मैंने 20 जनवरी को रिश्वत मांगी और बुधवार को ठेकेदार से रिश्वत ली’। इस बात को उन्होंने एक पत्र में लिखकर जज के सामने प्रस्तुत किया। केके सिंघल ने पत्र में लिखा कि ‘मुझे बचाव के लिए कोई वकील नहीं चाहिए। लिहाजा, मेरी सजा पर तत्काल फैसला कर दिया जाए’। न्यायालय ने दोनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
एडवोकेट सतीश ने बताया आरोपी केके सिंघल का पत्र नियमा के अनुसार जिला कारागार भेज दिया है। वहां से 24 घंटे के बाद पत्र न्यायालय में दोबारा आएगा। इस पर शुक्रवार को न्यायालय में सुनवाई की जाएगी। हालांकि, इस प्रकरण में दूसरे आरोपी ने अपनी ओर से कुछ नहीं कहा है। दोनों आरोपियों को करीब डेढ़ बजे कोर्ट में लाया गया था। इस दौरान कोर्ट रूम खचाखच भरा हुआ था। जज ने जब आरोपी केके सिंघल से आरोपों के बारे में पूछा तो उनका जवाब सुनकर सभी सकते में आ गए। एडवोकेट सतीश ने बताया कि यह पहला मौका है जब किसी आरोपी ने इस तरह से अपने जुर्म कबूल किया हो।