इलाहाबाद के बाद अब शिमला का नाम बदल सकती है भाजपा!
शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य की राजधानी शिमला का नाम बदलकर ‘श्यामला’ करना चाहती है। कई हिंदू संगठन ‘शिमला’ नाम को ब्रिटिश राज की निशानी मानकर लंबे समय से बदलने की मांग करते चले आ रहे हैं। शुक्रवार (19 अप्रैल) की शाम जखु मंदिर पर दशहरा पर्व मनाने पहुंचे लोगों के बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी पहुंचे थे। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कहा,” ब्रिटिश राज आने से पहले शिमला को श्यामला के नाम से जाना जाता था। मेरी सरकार जनता से शहर का नाम बदलने के संबंध में उनकी राय लेगी। शिमला शहर का नाम बदलने की मांग उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के बाद तेज हो गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने कहा,”शिमला का नाम बदलने में कोई नुकसान नहीं है। ये शहर अंग्रेजों से जुड़ा रहा है। 1864 से लेकर भारत की आजादी तक शिमला अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी रहा है।” विश्व हिंदू परिषद लंबे वक्त से सरकार से शहर का नाम बदलने की मांग कर रहा है। हालांकि, साल 2016 में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शिमला शहर का नाम बदलने का प्रस्ताव खारिज कर दिया था। उन्होंने तर्क दिया था कि शिमला अंतरराष्ट्रीय स्तर का पर्यटन स्थल है।
विश्व हिंदू परिषद की ये भी मांग है कि मशहूर डलहौजी का नाम बदलकर क्रांतिकारी नेता सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा जाए। जबकि नूरपुर कस्बे का नाम बदलकर 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए योद्धा राम सिंह पठानिया के नाम पर रखा जाए। वर्तमान में नूरपुर कस्बे का नाम मुगल महारानी नूरजहां के नाम पर है।
राज्य में विरोधी पार्टी कांग्रेस ने शिमला का नाम बदलने के प्रस्ताव को बकवास बताते हुए इसका विरोध किया है। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और मुख्य प्रवक्ता नरेश चौहान ने कहा,” कस्बे का नाम बदलने की बजाय सरकार को शहर और राज्य की समस्याएं दूर करने पर जोर देना चाहिए। उन्हें लोगों के कल्याण के लिए काम करना चाहिए। नाम बदलने से कोई मदद नहीं मिलने वाली है।”