उत्तरकाशी टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को सकुशल निकाला गया बाहर
उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी सफलता मिली है। टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बीते 16 दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था।
Uttarkashi Tunnel Rescue : उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हुआ है। टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। गौरतलब है कि इस टनल में 41 मजदूर फंसे हुए थे, जिन्हें बाहर निकालने के लिए बीते 16 दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था। आज रेस्क्यू ऑपरेशन का 17वां दिन है और मजदूरों को टनल से बाहर निकाला गया है। देशभर की नजर इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर थी और पीएम मोदी खुद पल-पल का अपडेट ले रहे थे।
12 नवंबर से टनल में फंसे थे मजदूर
सिलक्यारा टनल उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 12 नवंबर को इस टनल का एक हिस्सा गिर गया था, जिससे मजदूर टनल के अंदर ही फंस गए थे।
बड़ी मशीने फेल हुईं, रैट माइनर्स ने दिखाया कमाल
इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान तमाम बड़ी मशीनें फेल होती नजर आईं लेकिन रैट माइनर्स ने काफी कमाल दिखाया। ऑगर मशीन, वर्टिकल ड्रिलिंग, रैट माइनर्स की सहायता से इस रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इस दौरान खुदाई करके पाइप डाले गए।
रेस्क्यू के दौरान एक समय ऐसा भी आया, जब अमेरिकी ऑगर मशीन भी फंस गई और फिर रैट माइनर टीमों ने वहीं से मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू की। इन लोगों ने आगे की खुदाई हाथ से की, जिसके लिए इनके पास हथौड़ा, साबल और खुदाई करने वाले कई टूल्स थे।
रैट माइनिंग क्या है?
यह माइनिंग का एक तरीका है जिसका इस्तेमाल करके संकरे क्षेत्रों से कोयला निकाला जाता है। ‘रैट-होल’ टर्म जमीन में खोदे गए संकरे गड्ढों को दर्शाता है। यह गड्ढा आमतौर पर सिर्फ एक व्यक्ति के उतरने और कोयला निकालने के लिए होता है।
एक बार गड्ढे खुदने के बाद माइनर या खनिक कोयले की परतों तक पहुंचने के लिए रस्सियों या बांस की सीढ़ियों का उपयोग करते हैं। फिर कोयले को गैंती, फावड़े और टोकरियों जैसे आदिम उपकरणों का इस्तेमाल करके मैन्युअली निकाला जाता है।