बच्चों को बिलखता देख फरिश्ता बनकर आया ये शख्स, गोद लिए 300 परिवार
जयपुर। कोरोना महामारी ने जहां हजारों लोगों को बेघर और पलायन को मजबूर कर दिया, इतने ही बेबस-बेसहारा और रोज कुआं खोद पानी पीने वालों के लिए जीवनयापन का संकट खड़ा हो गया है, तो इस बीच कुछ ‘फरिश्ते’ इनके लिए आ खड़े हुए हैं। जिन्होंने मानों महामारी के बीच इनको गोद लेकर जीवन बचाने के लिए संकल्प ले लिया हो। आमेर रेंज के एक छोटे से गार्ड ने अपनी जेब से 5 हजार रुपए दे दिए हैं। बल्कि रोजाना ऐसे लोगों के खाने-पीने की व्यवस्थाएं कराने में जुटे रहे हैं। नाम पूछने पर हाथ जोड़ते हैं कि साब क्यों किए पर पानी फेरते हो! मदद का कारण पूछा तो बोले- अब तो लोगों को पलायन भी रूक गया, लेकिन जिंदगी तो चलानी ही है। किसी को भूखे मरते देख खुद की हलक से खाना कैसे उतरे। आखिर इंसानियत भी कोई चीज है भला।
आमेर रेंज में इन जैसे कई साथियों ने जोड़े 1.40 लाख
आमेर रेंज में इन साथियों ने 1.40 लाख जोड़े हैं। इस पैसों से दिहाड़ी 300 मजदूरों का खाना बनता है। आमेर, शाहपुरा, झालाना रेंजर की टीम ने भी आमेर एसडीएम को 150-200 आटा-दाल के पैकेट दिए हैं। 60-70 गार्ड और जूनियर कर्मचारियों की मदद से आकेड़ा में 500 श्रमिक परिवारों के लिए 6 क्विंटल आटे की व्यवस्था के साथ भरोसा दिलाया है कि लॉकडाउन की मियाद तक कोई मदद हो तो फिर बताएं।
1 दिन की सेलरी के बाद 25 लाख और जोड़े
अब जेडीसी की पहल पर जेईएन-एईएन, कॉन्ट्रेक्टर से लेकर इंजीनियर दान को आगे आए हैं। इंजीनियरिंग प्रथम के यहां साढ़े 8 लाख तो सैकंड की टीम से 20 लाख इकट्ठे होने की उम्मीद है। भास्कर ने बड़े अफसर इंजीनियरों से वर्जन की बात कही तो उन्होंने भी यही कहा कि कुछ काम बिना नाम हो जाएं तो बेहतर।
कोई पुलिस के साथ तो कोई निगम से जुड़ा
जवाहर नगर में फल-सब्जी के व्यापारी द्वारा एसएमएस में कोरोना महामारी से जुड़ी टीम को फल-सब्जियां मुहैया कराने की बात कही है। तीन थानों को सब्जियां पहुंचाने का काम कर रहे हैं। पंचवटी के एक स्वयंसेवी पुलिस के साथ मूक जानवरों को खाना डाल रहे हैं। कुत्ते-गाय-बंदर के खाने के लिए भी निगम के साथ लोग आगे आए हैं।