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बिगड़े मौसम ने गेहूं की फसल को पंहुचाया नुकसान, किसानों की बढ़ी चिंता

मार्च में लगातार हो रही वर्षा-ओलावृष्टि रबी की फसल के लिए काल बन गई है। पकने की कगार पर पहुंच चुकी गेहूं की फसल को अधिक वर्षा से भारी नुकसान की आशंका है। ओलावृष्टि से फल-सब्जियों को भी करीब 15-20 प्रतिशत क्षति पहुंची है।

देहरादून। मौसम की मार से उत्तराखंड के किसानों की मेहनत पर पानी फिर रहा है। मार्च में लगातार हो रही वर्षा-ओलावृष्टि रबी की फसल के लिए काल बन गई है। पकने की कगार पर पहुंच चुकी गेहूं की फसल को अधिक वर्षा से भारी नुकसान की आशंका है।

प्रारंभिक तौर पर प्रदेश में रबी की फसल को 25 से 30 प्रतिशत तक की क्षति पहुंचने का अनुमान है। ओलावृष्टि से फल-सब्जियों को भी करीब 15-20 प्रतिशत क्षति पहुंची है। प्रदेश में करीब 353804 हेक्टेयर भूमि में रबी की खेती होती है। जिसमें करीब 998580 मीट्रिक टन उत्पादन होता है।

दूसरे पखवाडे़ की शुरुआत से ही मौसम का मिजाज बदला

उत्तराखंड में मार्च के दूसरे पखवाडे़ की शुरुआत से ही मौसम का मिजाज बदला हुआ है। झमाझम वर्षा और चोटियों पर हिमपात के साथ ही कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि के कई दौर हो चुके हैं। जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें पड़ गई हैं। इन दिनों गेहूं समेत रबी की ज्यादातर फसलें पकने की कगार पर है और अधिक वर्षा और ओलावृष्टि फसलों को नुकसान पहुंचा रही है।

कृषि विभाग की ओर से अभी समुचित डाटा नहीं जुटा जा सका है, लेकिन जिलेवार प्राप्त प्रारंभिक आंकलन से फलों के उत्पादन को 25 से 30 प्रतिशत तक का नुकसान होने की आशंका है। इसके अलावा दाल और तिलहन की फसल को भी क्षति पहुंचने का अनुमान है।

कृषि निदेशक गौरीशंकर के अनुसार वर्षा और ओलावृष्टि से हुए नुकसान को लेकर जिलेवार सर्वे किया जा रहा है। अभी पहले चरण का सर्वे पूर्ण नहीं हुआ है, जल्द नुकसान का आकलन कर आंकड़े शासन को भेज दिए जाएंगे। उधर, मौसम विभाग ने वर्षा को देखते हुए किसानों को खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करने और फिलहाल किसी प्रकार की सिंचाई न करने की सलाह दी है

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