बगदाद में एक बार फिर हुआ बड़ा हमला, विदेशी दूतावासों के पास दागे रॉकेट
बगदाद। इराक के बगदाद में 24 घंटे के अंदर एक बार फिर रॉकेट हमला हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार दो मिसाइलें हाई सिक्योरिटी वाले ग्रीन जोन (अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र) में गिरीं। इस जगह पर कई विदेशी दूतावास मौजूद हैं। बताया गया है कि दो बड़े धमाकों के बाद पूरे ग्रीन जोन में सुरक्षा अलार्म बजने लगे। किसी भी संगठन ने अभी तक हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने इसके पीछे इराक में स्थित ईरान समर्थित शिया विद्रोही संगठन- ‘हाशेद’ पर शक जताया है।
इराक के सुरक्षाबलों का हिस्सा है ‘हाशेद’
ईरान समर्थित संगठन पीएमएफ के प्रवक्ता के मुताबिक, हमले में उसके 5 सिपाहियों की मौत हुई है। संगठन ने पहले हमले के लिए इजराइल पर शक जताया था। पीएमएफ शिया लड़ाकों का एक गुट है। यह आधिकारिक तौर पर इराकी सुरक्षाबलों में शामिल हैं। रॉकेट हमले में मारे गए महुंदिस इस संगठन के उप प्रमुख थे। इराक में अमेरिकी सेना के खिलाफ जाने के लिए ट्रम्प प्रशासन ने उन्हें ब्लैकलिस्ट किया था।
इराक में ईरान समर्थित संगठन को निशाना बना रहा अमेरिका
अमेरिका इन दिनों इराक में ईरान समर्थित कतैब हिज्बुल्ला विद्रोहियों को निशाना बना रहा है। दो हफ्ते पहले अमेरिकी एयरस्ट्राइक में इस संगठन के 25 लड़ाके मारे गए। अमेरिका का कहना था कि उसने यह हमला इराक में अमेरिकी सिविलियन कॉन्ट्रैक्टर की मौत का बदला लेने के लिए किया। कतैब हिज्बुल्ला के लीडर ने हमले के लिए अमेरिका को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी।
ईरान के हमले में अमेरिका को कोई नुकसान नहीं हुआ
एक दिन पहले ही ईरान ने इराक में स्थित दो अमेरिकी सैन्य बेसों पर 22 मिसाइलें दागी थीं। ईरान ने दावा किया था कि अनबर प्रांत में ऐन अल-असद एयर बेस और इरबिल के एक ग्रीन जोन पर हमले में अमेरिका के 80 सैनिक मारे गए। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस दावे को झूठा करार दिया। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इससे जुड़ी कुछ सैटेलाइट फोटोज जारी की हैं। इनमें दिखाया गया है कि ईरान ने मिसाइलें समझदारी से अमेरिकी ठिकानों पर दागीं और इससे करीब 7 इमारतों और अन्य ढांचों को नुकसान पहुंचा। तबाह हुए तीन ढांचे एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस में लगे हैंगर के हैं।
ईरान जानबूझकर अमेरिकी सेना को निशाना बनाने का मौका चूका
ट्रम्प प्रशासन के अफसर मानते हैं कि ईरान ने जानबूझकर बेसों पर जानबूझकर सैनिकों को निशाना नहीं बनाया और मिसाइलें आसपास गिरा दीं। हालांकि, ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ मार्क माइली ने कहा कि ईरान शायद अमेरिका के वाहन और एयरक्राफ्ट को नुकसान पहुंचाना चाह रहा था। इसलिए उसने इस तरह निशाने साधे।