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बहुत कम लोग जानते हैं ‘विनोद खन्ना’ के बारे में ये बातें

मुम्बई। फिल्म अभिनेता विनापेद खन्ना गुरूवार को दुनिया को अलविदा कह गये मगर उनके जीवन की बहुत सी ऐसी बातें हैं जो उनके प्रशंसक नहीं जानते हैं। आइये आप को भी उन बातों से रूबरू करवाएं।

विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर,1946 को पेशावर में हुआ था। उनका परिवार अगले साल 1947 में हुए विभाजन के बाद पेशावर से मुंबई आ गया था। उनके माता-पिता का नाम कमला और किशनचंद खन्ना था। विनोद खन्ना पांच भाई बहनों में से एक थे। उनके एक भाई और तीन बहने हैं। आजादी के समय हुए बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से मुंबई आकर बस गया। विनोद खन्ना के सुपरहिट गाने : रोते हुए आते हैं सब, हंसता हुआ जो जाएगा….

पढ़ाई:
1960 के बाद की उनकी स्कूली शिक्षा नासिक के एक बोर्डिग स्कूल में हुई वहीं उन्होने सिद्धेहम कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया था। बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई के दौरान विनोद खन्ना ने ‘सोलवां साल’ और ‘मुगल-ए-आज़म’ जैसी फिल्में देखीं और इन फिल्मों ने उन पर गहरा असर छोड़ा। अमिताभ से भी बड़े सुपरस्टार बन सकते थे विनोद खन्ना, लेकिन एक फैसले ने करियर बर्बाद कर दिया।

करियर:
उन्होंने अपने फ़िल्मी सफर की शुरूआत 1968 मे आई फिल्म “मन का मीत” से की जिसमें उन्होने एक खलनायक का अभिनय किया था। कई फिल्मों में उल्लेखनीय सहायक और खलनायक के किरदार निभाने के बाद 1971 में उनकी पहली सोलो हीरो वाली फिल्म हम तुम और वो आई। कुछ वर्ष के फिल्मी सन्यास, जिसके दौरान वे आचार्य रजनीश के अनुयायी बन गए थे, के बाद उन्होने अपनी दूसरी फिल्मी पारी भी सफलतापूर्वक खेली और अभी तक भी फिल्मों में सक्रिय रहे। एक इंटरव्यू के दौरान, विनोद खन्ना ने कहा था कि उनके समय भी हीरो फिट होते थे परंतु तब बॉडी दिखाने का ट्रेंड नहीं था। अस्पताल ने दी जानकारी दी कि विनोद खन्ना की मौत कैंसर से ही हुई ।

राजनीती करियर:
वर्ष 1997 और 1999 में वे दो बार पंजाब के गुरदासपुर क्षेत्र से भाजपा की ओर से सांसद चुने गए। 2002 में वे संस्कृति और पर्यटन के केन्द्रिय मंत्री भी रहे। सिर्फ 6 माह पश्चात् ही उनको अति महत्वपूर्ण विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बना दिया गया।

जब फ़िल्में छोड़कर संन्यासी बन गए थे विनोद खन्ना:

क्या आपको पता है जब वो अपने फ़िल्मी करियर के चरम पर थे तब उन्होंने बॉलीवुड को अलविदा कह दिया। जी हां, विनोद खन्ना फ़िल्में छोड़ कर आचार्य रजनीश (ओशो) के शरण में चले गये थे। ये बात तब की है जब उनका नाम बेहद सफल अभिनेताओं में गिना जाता था।

लेकिन उस बीच उनकी मां का निधन हो गया जिससे वो काफी दुखी रहने लगे। इस दौरान विनोद खन्ना की मुलाकात ओशो से हुई। ओशो से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर से संन्यास ले लिया और अपनी बीवी को तलाक दे दिया। जिसके बाद वो अमेरिका जाकर ओशो के आश्रम में बस गये। ओशो ने उन्हें स्वामी विनोद भारती नाम दिया था।

ये हैं यादगार फिल्में:
विनोद खन्ना ने ‘मेरे अपने’, ‘कुर्बानी’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रेशमा और शेरा’, ‘हाथ की सफाई’, ‘हेरा फेरी’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जैसी कई शानदार फिल्में की हैं। विनोद खन्ना का नाम ऐसे एक्टर्स में शुमार था जिन्होंने शुरुआत तो विलेन के किरदार से की थी लेकिन बाद में हीरो बन गए। विनोद खन्ना ने 1971 में सोलो लीड रोल में फिल्म ‘हम तुम और वो’ में काम किया था।

आपको बता दें गुरदासपुर से सांसद विनोद खन्ना की फिल्म ‘एक थी रानी ऐसी भी’ छह दिनों पहले रिलीज हुई थी। राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जीवन पर बनी फिल्म ‘एक थी रानी ऐसी भी’ फिल्म 21 अप्रैल को देश भर में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में अभिनेत्री एवं मथुरा लोकसभा सीट से भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने विजयाराजे की भूमिका निभाई है। उनके अलावा फिल्म में विनोद खन्ना, सचिन खेडेकर एवं राजेश शृंगारपुरे ने भी अहम किरदार अदा किया था। 1999 में विनोद खन्ना को उनके इंडस्ट्री में योगदान के लिए फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया था।

विनर टाइम्स की ओर से भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता विनोद खन्ना को भावभिनी श्रद्धांजलि।

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