बहुत मान्यता है धारी माँ की, करती हैं सबकी मनोकामना पूरी
जै हो माँ धारी की। बहुत मान्यता है धारी माँ की और शायद ही उत्तराखंड में कोई और मंदिर हो जिसके ऊपर छत न हो धारी माँ के मंदिर की यही खासियत है कि मंदिर के ऊपर छत नही है।
श्रीनगर गढ़वाल से करीब 30 किमी की दूरी पर कालियासौड़ नाम की जगह पर माँ का भव्य मंदिर अलकनंदा नदी के बीचों-बीच करीब 250 मीटर ऊपर 16 पिलरों पर मां का मंदिर बनाया गया है, जो कि पुराने मंदिर की जगह से उठा कर ठीक उसी ऊंचाई पर स्थित किया गया है।
देवी काली को समर्पित मंदिर यह मंदिर इस क्षेत्र में बहुत पूजनीय है। लोगों का मानना है कि यहाँ धारी माता की मूर्ति एक दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं पहले एक लड़की फिर महिला और अंत में बूढ़ी महिला। एक पौराणिक कथन के अनुसार कि एक बार भीषण बाढ़ से एक मंदिर बह गया और धारी देवी की मूर्ति धारो गांव के पास एक चट्टान के रुक गई थी। गांव वालों ने मूर्ति से विलाप की आवाज सुनाई सुनी और पवित्र आवाज़ ने उन्हें मूर्ति स्थापित करने का निर्देश दिया।
हर साल नवरात्रों के अवसर पर देवी कालीसौर को विशेष पूजा की जाती है। देवी काली के आशीर्वाद पाने के लिए दूर और नजदीक के लोग इस पवित्र दर्शन करने आते रहे हैं। मंदिर के पास एक प्राचीन गुफा भी मौजूद है। यह मंदिर दिल्ली-राष्ट्रीय राष्ट्रीय राजमार्ग 55 पर श्रीनगर से 15 किमी दूर है। अलकनंदा नदी के किनारे पर मंदिर के पास तक 1 किमी-सीमेंट मार्ग जाता है।
मान्यता अनुसार मां धारी उत्तराखंड के चारधाम की रक्षा करती है। इस देवी को पहाड़ों और तीर्थयात्रियों की रक्षक देवी माना जाता है। मंदिर में मूर्ति जागृत और साक्षात है। यह सिद्धपीठ श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति का प्रमुख केंद्र है। पर जो भी है धारी माँ सबकी मनोकामना पूरी करती है।