बर्फ की आगोश में समाई पहाड़ों की रानी, चकराता में टूटा 40 साल का रिकॉर्ड
मसूरी, (रौशनी खंडूरी)। पहाड़ों की रानी मसूरी में बुधवार को दिनभर बारिश होती रही। जिस वजह से स्थानीय लोग एवँ पर्यटक कमरों में दुबके रहे। लेकिन शाम होते-होते अचानक बारिश थम गई और बर्फ की हल्की-हल्की फुहारें गिरने लगी। अचानक हुई बर्फबारी को देख पर्यटक फूले नहीं समाए और मस्ती करने कमरों से बाहर निकल आये व बर्फ में अटखेलियां करने लगे।
देखते ही देखते बर्फबारी और तेज़ होने लगी चारों ओर बर्फ की सफेद चादर सी बिछ गई और पहाड़ों की रानी बर्फ की आगोश में समा गई। यही आलम कमोबेश धनोल्टी और चकराता में भी देखने को मिला। यदि धनोल्टी की ही बात की जाए तो यहाँ सुबह से ही बर्फबारी हो रही थी। वहीं मसूरी के निकट जौनपुर- रवाई क्षेत्र में भी देर शाम वादियां बर्फ से लकदक हो गईं।
यदि चकराता की ही बात की जाए तो उत्तराखंड में जौनसार बावर की ऊंची चोटियों पर हुए हिमपात से 40 साल के रिकॉर्ड टूट गए हैं। इसके साथ ही कई ऊंची चोटियां और तलहटी में बसे गांव पूरी तरह से खूबसूरत बर्फबारी की चपेट में समा गए हैं।
त्यूनी में आखिरी बार 80 के दशक में हिमपात हुआ था। इसके अलावा अलसी गांव में करीब 30 साल बाद बर्फबारी हुई है। महासू मंदिर हनोल भी बर्फबारी के आगोश में समा गया है। यहां भी करीब 18 साल बाद बर्फबारी का नजारा देखने को मिला है। ये ऊंची चोटियां दूर से ही पर्यटकों को खासा लुभा रही हैं।
चकराता छावनी बाजार क्षेत्र में एक फीट तक बर्फ की मोटी चादर बिछ गई है। लोखंडी, बुधेर, कनासर, मोइला टॉप, देववन में चार से पांच फीट तक बर्फ की मोटी चादर बिछ गई है। बैराटखाई और नागथात क्षेत्र में भी करीब तीन साल बाद बर्फबारी का नजारा देखने को मिला है।
वहीं टिहरी जिले के धनोल्टी, नई टिहरी, चंबा, सुरकंडा, कद्दूखाल आदि क्षेत्रों में अपराह्न बाद जमकर बर्फबारी हुई। देर शाम मसूरी में बर्फबारी के बाद आलम यह है कि मसूूूरी-धनोल्टी, लंबगांव-प्रतापनगर, लंबगांव-कोटालगांव-चमियाला, नगुन-भवान, घनसाली-तिलवाड़ा मोटर मार्ग पर आवाजाही बंद हो गई। वहीं देहरादून के कुठालगेट से आगे पर्यटकों की आवाजाही बंद कर दी गई। कईं पर्यटकों के बर्फ में फंसे होने की सूचनाएं मिल रही हैं।