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बेरोजगारी की समस्या को लेकर राहुल ने सरकार पर खड़े किये सवाल

नयी दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को रोजगार, भ्रष्टाचार, किसानों, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि यह सरकार स्वीकारने को तैयार नहीं है कि देश में बेरोजगारी रूपी संकट है। वह  शिक्षा: दशा और दिशा  नामक कार्यक्रम में छात्रों से संवाद कर रहे थे। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा,  रोजगार न मिलने के चलते युवाओं में रोष है और दक्षिणपंथी इसका फायदा उठा रहे हैं। हमारा मुख्य मुकाबला चीन के साथ है, लेकिन सरकार यह स्वीकार नहीं कर रही कि देश में रोजगार संकट है।

उन्होंने कहा कि इसका हल हो सकता है, लेकिन इससे पहले मानना होगा कि कहीं न कहीं समस्या है। शिक्षा: दशा और दिशा  नामक कार्यक्रम जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में रखा गया है, जहां राहुल देश में शिक्षा की स्थिति को लेकर छात्रों से रूबरू हुए। वह छात्रों के बीच जींस-टीशर्ट और हाफ जैकेट में पहुंचे। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्र गान और पुलवामा आतंकी हमले के शहीदों के श्रद्धांजलि देकर की गई। छात्रों के साथ बातचीत में गांधी ने देश की शिक्षा व्यवस्था में एक खास विचारधारा थोपे जाने का भी आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि आप किसी भी विश्वविद्यालय में पूछ लीजिये। पता चलेगा कि कुलपति के पद पर एक विचारधारा और एक संगठन के लोग बैठाए जा रहे हैं। वे हिंदुस्तान की शिक्षा व्यवस्था को अपना औजार बनाना चाहते हैं। गांधी ने कहा कि हमें इन संस्थाओं को स्वायत्तता देनी है, पूरा धन देना है। यह नहीं कहना है कि उन्हें क्या करना है। यही हममें और उनमें फर्क है। उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा सरकार शिक्षा बजट में कटौती की है और वह शिक्षा को निजी समूहों के हाथों में सौंप रही है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग मुझे पसंद करेंगे, कुछ लोग नापसंद करेंगे, लेकिन आप जिसका भी समर्थन कर रहे हैं, उसमें हिम्मत होनी चाहिए कि वो आपके सामने खड़ा होकर आपकी बात सुन सके, आपको गले लगा सके। अगर उसमें हिम्मत नहीं है तो आपको सवाल पूछना चाहिए कि उसमें इतनी हिम्मत क्यों नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर आप सच में भ्रष्टाचार की बात करना चाहते है, सबसे बड़ा भ्रष्टाचार जमीन के मामले में होता है। हम भूमि अधिग्रहण कानून लाए। इसके मुताबिक बिना किसान से पूछे जमीन नहीं ली जाएगी और अगर ली गई तो उन्हें चार गुना दाम देना पड़ेगा। लेकिन मोदी सरकार ने आते ही इसे कमजोर करने की कोशिश की।

असहिष्णुता से जुड़े सवाल पर गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री का संदेश पूरी व्यवस्था में जाता है। नफरत के माहौल में अगर प्रधानमंत्री भाईचारा का संदेश दे तो अपने आप सब ठीक हो जाएगा। अगर नेतृत्व दिशा दे तो सब ठीक होगा। वैसे, हमारे देश का मूल स्वभाव भाईचारे का रहा है। राजनीतिक दलों को आरटीआईके दायरे में लाने जाने की मांग से जुड़े सवाल पर गांधी ने कहा कि उन्हें इस पर कोई एतराज नहीं है बशर्ते न्यायपालिका, मीडिया समेत देश के 20 बड़े उद्योगपतियों को भी आरटीआई के तहत लाया जाए।

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