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भाजपा के इनकार के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना इन दलों के साथ सरकार बनाने की तैयारी में

मुंबई/नई दिल्ली। महाराष्ट्र में भाजपा के सरकार बनाने के इनकार के बाद शिवसेना ने राकांपा और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने की तैयारी कर ली है। लेकिन, राकांपा और कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने के लिए उसके एनडीए से अलग होने की शर्त पर अड़ी है। मोदी सरकार में शिवसेना के इकलौते केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत ने सुबह ट्वीट कर इस्तीफा देने का ऐलान किया। वे आज दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। उधर, राकांपा प्रमुख शरद पवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से संपर्क में हैं। शिवसेना के संजय राउत सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं।

बदले हुए हालात में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन सकते हैं। जबकि, पहले वह अपने बेटे आदित्य ठाकरे को सीएम बनाना चाह रहे थे। उधर, इस नए गठजोड़ में उप-मुख्यमंत्री का पद राकांपा को जा सकता है। वहीं, कांग्रेस को विधानसभा में स्पीकर का पद दिया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल ने शिवसेना को संख्याबल के बारे में जानकारी देने के लिए सोमवार शाम 7:30 बजे तक का वक्त दिया है। ऐसे में उद्धवखुद सत्ता का समीकरण बनाने में जुट गए हैं। रविवार देर रात तक शिवसेना के बड़े नेताओं की मातोश्री में बैठक हुई।

शिवसेना एनडीए गठबंधन से अलग होगी

शिवसेना के केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत ने ट्वीट किया- शिवसेना का पक्ष सच्चाई है। इतने झूठे माहौल में दिल्ली सरकार में क्यों रहे और इसीलिए मैं केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं। इस संबंध में सुबह 11 बजे दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगा।

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राकांपा ने आज बैठक बुलाई

राकांपा नेता नवाब मलिक ने बताया कि सोमवार को हमने सभी विधायकों की बैठक बुलाई है। इसी बैठक में आगे की रणनीति तय होगी। यदि शिवसेना को हमारा समर्थन चाहिए, तो उन्हें भाजपा और एनडीए से गठबंधन तोड़ना होगा। उनके सभी केंद्रीय मंत्रियों को मोदी सरकार से इस्तीफा देना होगा।

संभावित सरकार में कांग्रेस का शामिल होना तय नहीं
गठबंधन सरकार में कांग्रेस शामिल होगी या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन, स्पीकर पद कांग्रेस के खाते में जा सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण इसके लिए पहली पसंद होंगे। उप-मुख्यमंत्री का पद राकांपाको देने की बात हो चुकी है, लेकिन गृह मंत्रालय को लेकर खींचतान जारी है। 1999 में कांग्रेस और राकांपा ने ऐसे ही हालात में राज्य में सरकार का गठन किया था। इसके बाद दोनों दल 15 साल तक सत्ता में रहे थे।

अशोक चव्हाण ने कहा-कांग्रेस राष्ट्रपति शासन के पक्ष में नहीं
कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने रविवार देर शाम जयपुर में कहा कि पार्टी राज्य की जनता पर राष्ट्रपति शासन थोपे जाने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि नव-निर्वाचित पार्टी विधायक हाईकमान से सलाह लेंगे और उसके आधार पर फैसला करेंगे। कांग्रेस विधायक इस समय जयपुर के रिसॉर्ट में हैं। हालांकि, इससे पहले दिन में कांग्रेस महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे ने जयपुर में पार्टी विधायकों से मुलाकात के बाद मीडिया से कहा था कि पार्टी विपक्ष में बैठेगी।

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