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भाजपा ने महाराष्ट्र में आंकड़े जुटाने के लिए बनाई टीम

मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा कर रही राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना में आखिरी वक्त तक शर्तें ही तय नहीं हो पाईं। मंगलवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश पर केंद्र ने राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी। अब खुलासा हो रहा है कि तीनों पार्टियों में 3 वजह से आम राय नहीं बन पाई थी। पहली- तीनों पार्टियां यह तय नहीं कर पाईं कि सरकार में किसके कितने मंत्री होंगे। दूसरी- कांग्रेस आश्वस्त होना चाहती है कि शिवसेना प्रखर हिंदुत्व के एजेंडे से दूर रहकर ही साथ आए। तीसरी- राकांपा प्रमुख शरद पवार ने राज्यपाल से समय मांगने की बात शिवसेना और कांग्रेस को नहीं बताई। इससे अविश्वास पैदा हो गया। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद 105 सीटों वाली भाजपा फिर से सरकार बनाने की दिशा में सक्रिय हो गई है। भाजपा ने कांग्रेस से आए नारायण राणे के नेतृत्व में टीम बना ली है। राणे ने रात में कहा, ‘‘हमारे पास 145 का आंकड़ा हो जाएगा। हम ही सरकार बनाएंगे।’’

कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व दो खेमों में बंट चुका है। महाराष्ट्र के सभी विधायक सरकार में शामिल होने की जिद पर अड़े हैं। इससे कांग्रेस में डर है कि गठबंधन नहीं होने की स्थिति में ज्यादातर विधायक भाजपा में जा सकते हैं। दूसरी तरफ, राहुल गांधी, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, केसी वेणुगोपाल जैसे नेता शिवसेना से गठबंधन के खिलाफ बताए जा रहे हैं। क्योंकि, इन्हें अल्पसंख्यकों का वोट बैंक खोने का डर है। शिवसेना बेशक राकांपा और कांग्रेस से बातचीत कर रही है, लेकिन वह यह घोषित करने से भी बच रही है कि भाजपा से उसके संबंध खत्म हो गए हैं। उद्धव ठाकरे से जब मीडिया ने सवाल किया कि क्या भाजपा से फिर बात संभव है तो उन्होंने कहा- कुछ भी संभव है।

राकांपा की 54 सीटें हैं, जो शिवसेना से सिर्फ 2 कम हैं। ऐसे में उसका कहना है कि ढाई साल के लिए उसका भी सीएम होना चाहिए, जो शिवसेना को मंजूर नहीं है। सोमवार शाम सोनिया गांधी से फोन पर बातचीत में शरद पवार ने कहा था कि उद्धव ने उन्हें सरकार का ब्लू प्रिंट नहीं दिया है। जबकि कांग्रेस को इस पर संदेह है। इसीलिए अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल पवार से बात करने मुंबई पहुंचे थे। राकांपा के पास रात 8:30 बजे तक सरकार बनाने का दावा पेश करने का समय था। लेकिन, उसने सुबह 11 बजे तीन दिन का समय मांग लिया। राज्यपाल ने इनकार करते हुए 12 बजे राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी।

संविधान विशेषज्ञों के अनुसार, राष्ट्रपति शासन बेशक 6 महीने के लिए है, लेकिन पार्टियां चाहें तो अगले कुछ दिनों में सरकार बना सकती है। इसके लिए बहुमत का आंकड़ा दर्शाना होगा। यानी समर्थन पत्र पर 145 (बहुमत का आंकड़ा) से ज्यादा विधायकों के हस्ताक्षर जरूरी हैं। समर्थन पत्र मिलने के बाद राज्यपाल केंद्र को राष्ट्रपति शासन खत्म करने के लिए कह सकते हैं। लेकिन, अगर राज्यपाल को विधायकों की खरीद-फरोख्त के प्रमाण मिलते हैं तो वह सरकार बनाने की मांग को खारिज भी कर सकते हैं। शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा साझा न्यूनतम कार्यक्रम तय करके ही मिलकर सरकार बनाने का दावा करेंगे।

भाजपा नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने कहा है कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने की कोशिश करेगी। राणे ने कहा है कि जिसको, जिसके साथ जाना हो जाए लेकिन भाजपा 145 विधायकों के समर्थन के साथ राज्यपाल के पास जाएगी। हालांकि, भाजपा नेता सुधीर मुगंटीवार ने राणे के बयान को उनकी निजी राय करार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी राज्य में स्थिर सरकार बनने की उम्मीद जताई।

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