भाजपा नेता की पोस्ट में अभिनंदन की तस्वीर, चुनाव आयोग ने उठाया ये कदम

नई दिल्ली। इन दिनों देशभर में आम चुनाव का माहौल अपने पूरे चरम पर है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी जीत के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। वहीं लोकसभा चुनाव की तैयारी के चलते चुनाव आयोग भी सख्त रूख अपनाये हुए नजर आ रहा है। ऐसे में एक भाजपा नेता द्वारा राजनीतिक फायदे के लिए सेना का सहारा लेने का प्रयास किया गया। आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने फेसबुक से विंग कमांडर के साथ शेयर किए गए दो राजनीतिक पोस्टर्स को हटाने की बात कही है। बताते चलें कि इन पोस्टर्स को भाजपा विधायक ने अपने अकाउंट से शेयर किया है। चुनाव आयोग ने इस पोस्ट को आचार संहिता का (मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट -MCC) उल्लंघन बताया है।
चुनाव आयोग की तरफ से यह शिकायत फेसबुक के भारत और दक्षिण एशिया डायरेक्टर शिवनाथ ठुकराल को की गई है। वहीं चुनाव आयोग को यह शिकायत cVIGIL एप पर मिली थी। बता दें कि cVIGIL एक एन्ड्रॉयड एप है जिसकी मदद से कोई भी आम नागरिक अपनी बात चुनाव आयोग के सामने रख सकता है। यह एप 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के वक्त सामने आई थी। 10 मार्च को 2019 लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। वहीं इसके साथ ही आचार संहिता भी लागू हो गई थी। ऐसे में चुनाव आयोग की तरफ से पार्टियों को सख्त आदेश दिए गए हैं कि सेना का जिक्र राजनीति के लिए नहीं किया जाएगा।
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एक मार्च को दिल्ली भाजपा विधायक ने दो पोस्टर शेयर किए थे। इन दोनों पोस्टर्स में भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की फोटो सहित, पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की फोटो भी थी। एक पोस्टर में लिखा था- मोदी जी द्वारा इतने कम समय में बहादुर अभिनंदन को वापस लाना भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक विजय है। वहीं दूसरे पोस्टर में लिखा था – झुक गया है पाकिस्तान, लौट आया है देश का वीर जवान।
यहां यह उल्लेख करना उचित है कि किसी राष्ट्र के सशस्त्र बल उसके सीमावर्ती, सुरक्षा और राजनीतिक व्यवस्था के संरक्षक होते हैं। वे एक आधुनिक लोकतंत्र में राजनीतिक और तटस्थ हितधारक हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि राजनीतिक दल और नेता अपने राजनीतिक अभियान में सशस्त्र बलों के लिए कोई भी संदर्भ देते समय बड़ी सावधानी बरतें। बता दें कि आचार संहिता के प्रावधान 2013 से सोशल मीडिया पर लागू होते हैं, लेकिन आयोग ऐसे प्लेटफार्मों पर उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम नहीं था क्योंकि चुनाव आयोग के पास सोशल मीडिया साइटों तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं था।
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मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि यह पहला लोकसभा चुनाव है जहां फेसबुक, ट्विटर, गूगल, व्हाट्सएप और शेयरचैट जैसे सोशल मीडिया अपने प्लेटफार्मों पर “राजनीतिक अभियानों की अखंडता और वैधता को बनाए रखने” के लिए चुनाव आयोग के साथ सहयोग करने के लिए सहमत हुए हैं।