अपने पैतृक गाँव पहुँची भावना पांडे ने किया पुरानी यादों का स्मरण, कही ये बात
देहरादून/चंपावत। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध समाजसेवी एवँ जनता कैबिनेट पार्टी की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे इन दिनों चंपावत के दौरे पर हैं। अपने पैतृक गाँव पहुँची भावना पांडे ने गाँव का भ्रमण कर पुरानी यादों का स्मरण किया।
उत्तराखंड की आंदोलनकारी बेटी भावना पांडे ने बताया कि लगभग 70 या 80 वर्ष पूर्व उनके पूर्वज यहीं सिम्ल्टा गाँव में रहते थे, जो बाद में पलायन करके बागेश्वर के गर्बडयार में बस गये थे। उन्होने यहाँ पहुंचकर अपने पूर्वजों को याद किया। भावना पांडे ने कहा कि उन्होने पलायन का दर्द झेला है और वे यहाँ के बेरोजगार युवाओं की पीड़ा को अच्छी तरह से समझ सकती हैं।
अपने पुश्तैनी गाँव पहुँची भावना पांडे ने वहाँ स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना कर प्रदेश वासियों की खुशहाली की कामना की। इस दौरान उन्होंने मंदिर में आयोजित भजन व कीर्तन में भी प्रतिभाग किया। साथ ही क्षेत्र के मनोरम दृश्यों को अपने मोबाइल में भी क़ैद किया।
उन्होंने बताया कि इसके पश्चात वे अपने पूर्वजों के दूसरे निवास स्थान बागेश्वर के गर्बडयार में जाएंगी और वहाँ क्षेत्र का भ्रमण कर मौजूदा हालातों का जायजा लेंगीं। उन्होंने बताया कि उनके पुश्तैनी गाँव में एक मन्दिर का निर्माण कराया जा रहा है, जिसका वे निरिक्षण करेंगी।
जेसीपी मुखिया भावना पांडे ने बताया कि चम्पावत क्षेत्र के भ्रमण के दौरान उन्होंने वर्तमान राजनीतिक गतिविधियों का भी जायजा लिया। उन्होंने अपने सियासी अनुभव के आधार पर अपनी निजि राय रखते हुए कहा कि यहाँ होने जा रहे उपचुनाव में भाजपा का पलडा भारी नज़र आ रहा है। वर्तमान मुख्यमंत्री एवं बीजेपी प्रत्याशी पुष्कर सिंह धामी लोगों की पहली पसंद बनकर भारी मतों से विजयी होते प्रतीत हो रहे हैं।
पहाड़ की बेटी भावना पांडे ने कहा कि बीते 22 वर्षों में उत्तराखंड से तेजी से पलायन हुआ है। भारी तादाद में पहाड़ के गाँव खाली हो चुके हैं। मगर पिछली सरकारों ने पलायन को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। परिणाम स्वरूप पहाड़ों से पलायन निरन्तर जारी है।
उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से उम्मीद जताते हुए कहा कि वे उत्तराखंड से पलायन को रोकने के लिये अवश्य ही कोई ठोस रणनीति बनायेंगे और राज्य से रोजाना हो रहे पलायन को रोककर इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में अपना नाम दर्ज करायेंगे।