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शव के पेट में पड़े बीज से उगा पेड़, 40 साल पहले हुई थी हत्या

साइप्रस। बात शायद अजीब लगे मगर ये सच है। 40 साल पहले एक शख्स की हत्या हो जाती है। बरसों तक उसके परिवार वाले उसके शव की तलाश करते हैं लेकिन आखिरकार थक-हार कर वो शव मिलने की उम्मीद छोड़ देते हैं। 40 साल बाद इस शख्स की लाश ऐसी परिस्थितियों में मिलती है जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। यह कहानी है साइप्रस की। साल 1974 में यहां Greek और Turkish लोगों के बीच संघर्ष छिड़ गई। इस संघर्ष में कई लोग मारे गए और कई लोग संघर्ष के दौरान यहां से पलायन कर गए। 87 साल की मुनूर अपने माता-पिता और भाई के साथ यहां के एक छोटे से गांव में रहती थीं। जब Greek और Turkish लोगों के बीच संघर्ष हुआ तब मुनूर के भाई एहमेट हर्गन की हत्या हो गई। संघर्ष के दौरान गांव के कई लोग यहां से चले गए। एहमेट हर्गन की हत्या के बाद उनके परिवार वालों ने कई सालों तक उनके शव की तलाश की लेकिन वो शव को ढूंढने में नाकाम रहे।

मुनूर अपने परिवार के साथ जिस स्थान पर रहती थीं वो पहाड़ों पर बसा था। इस घटना के 40 साल बाद एक रिसर्चर की नजर इन पहाड़ों पर उगे अंजीर के पेड़ पर पड़ी। दरअसल पहाड़ पर प्रतिकूल परिस्थितियों में अंजीर का पेड़ उगना सामान्य बात नहीं थी। शोधकर्ता इस बात की तसल्ली करना चाहते थें कि आखिर पहाड़ों पर अंजीर का यह पेड़ उगा कैसे? अपने शोध के लिए शोधकर्ताओं ने पेड़ के जड़ के आस पास खोदना शुरू किया। थोड़ा अंदर खोदने के बाद ही शोधकर्ता यह देखकर हैरान रह गए कि पेड़ के नीचे एक शख्स का शव पड़ा था और यह पेड़ इस शख्स के पेट में पड़े अंजीर के बीज से उगा था।

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पेड़ के नीचे से लाश मिलते ही शोधकर्ताओं ने तुरंत इस बात की जानकारी पुलिसवालों को दी। पुलिस ने डेड बॉडी की जांच में पाया कि यह शव एहमेट हर्गन का है। इस जगह से पुलिस ने दो अन्य शव भी बरामद किये हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐहमेट ने अपनी मौत से पहले अंजीर खाया था और मरने के बाद अंजीर का बीज उसके पेट में रह गया था जिसकी वजह से यह पेड़ यहा उगा। शोधकर्ताओं के मुताबिक इस जगह पर सालों पहले डायनामाइट से हमला किया गया था। हमले की वजह से ऐमहेट के कब्र के पास बड़ा से छेद हो गया था। इस छेद से कब्र के अंदर रोशनी पहुंच रही थी इसके अलावा यहां आने वाली बाढ़ कब्र के अंदर पानी पहुंचाने का काम करती रही। पानी और रोशनी से ही ऐहमेट के पेट में पड़े बीज को पोषण मिला और वो एक पेड़ बन गया।

ऐहमेट की 87 साल की बहन मुनूर ने मिरर नाऊ से बातचीत करते हुए कहा कि ‘कई सालों तक मैं अपने भाई का शव तलाशती रही। सन् 1947 में यहां एक छोटा सा गांव था और यहां करीब 4000 लोग रहते थे। इसी साल Greek और Turkish लोगों के बीच संघर्ष छिड़ गई। उनके भाई ने Turkish Resistance Organisation में शामिल हो गए थे। बाद में उनके भाई की हत्या हो गई थी। मुनूर ने इस अंजीर के पेड़ का शुक्रिया अदा भी किया है जिसकी वजह से उनके भाई के मृत शरीर का पता चल सका।

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