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बिजली से जगमगाएगा दूधली गांव

देहरादून। उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से 25 और डोईवाला विकासखंड से नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है दूधली गांव से अंधेरा जल्द दूर होने का जा रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय की पहल पर अब यह गांव बिजली से जगमगाएगा। दूधली गांव की आबादी करीब 10 हजार है। गांव के आसपास घना जंगल है। इससे वन्य जीवों का खतरा बना रहता है। शाम होते ही सड़कों पर स्याह अंधेरे से लोगों में गुलदार का खौफ बना रहता है।

इसे व्यवस्था की नाकामी कहें या उपेक्षा का दंश कि इस गांव में बिजली नहीं पहुंची। हालांकि आधे दशक से लोग गांव में सौर ऊर्जा की स्ट्रीट लाइटें लगवाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा तो गांव में रोशनी की उम्मीद जगी है। उत्साह से लबरेज गांव वालों को विश्वास है कि जल्द ही शाम होने के बाद भी सड़कें रोशन रहेंगी और ग्रामीण बेखौफ चहलकदमी कर सकेंगे। क्योंकि, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने उत्तराखंड शासन को इस मामले में कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। साथ ही पीएमओ को क्रियान्वयन से भी अवगत कराने को कहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि वह पिछले पांच साल से स्ट्रीट लाइटों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। गुलदार के डर के कारण लोग शाम होते ही घरों में दुबक जाते हैं। गुलदार अक्सर मवेशियों को अपना निवाला भी बनाता रहा है। उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) से लाइटें लगाने की मांग की गई तो उन्होंने बताया कि इसमें पांच लाख रुपये का खर्च आएगा। तत्कालीन सांसद एवं केंद्रीय मंत्री हरीश रावत से धनराशि आवंटन की मांग की गई। फाइल सरकी और उरेडा के पास पहुंची तो धनराशि बढ़ाकर 12 लाख कर दी गई।

इसके बाद 2014 में नेतृत्व परिवर्तन हुआ। हरीश रावत मुख्यमंत्री बने तो उनसे फिर गुहार लगाई गई, लेकिन कोई पहल नहीं हुई। सभी जगह से निराशा हाथ लगी। अब सिर्फ प्रधानमंत्री से आस है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है कि छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखना पड़ रहा है। यह राज्य सरकार और पूरे सिस्टम पर एक प्रश्न चिह्न है

जोहड़ी में भी लगी थी लाइटें :

पिछले वर्ष जोहड़ी-अनारवाला रोड पर स्ट्रीट लाइटें नहीं लगने पर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने पीएमओ से गुहार लगाई थी। पीएमओ ने संज्ञान लिया। इस खबर को समाचार पत्रों में भी प्रकाशित किया गया था। खबर का असर हुआ और अगले ही दिन मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने लाइटें लगवा दी थी। उम्मीद है दूधली गांव में भी ऐसा ही हो।

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