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Birthday Special: एक थप्पड़ ने बदल दी थी अभिनेत्री ललिता पवार की जिंदगी

मुंबई। दूरदर्शन  ने रामायण  फिर से शुरू किया जिसे खूब पसंद किया गया। हम आपको बताने वाले हैं रामायण के मंथरा के बारे में। मंथरा का रोल निभाने वाली एक्ट्रेस कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड की मशहूर वैंप ललिता पवार हैं। ललिता पवार को क्रूर सास के रूप में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पहचान मिली। उन्होंने कुछ सॉफ्ट रोल भी किए हैं, लेकिन वो बॉलीवुड की मशहूर वैम्प में से एक हैं। दरअसल फिल्म की शूटिंग के एक हादसे के दौरान उनकी एक आंख खराब हो गई था।

दरअसल ललिता पवार लीड एक्ट्रेस बनना चाहती थीं, लेकिन साल 1942 में आई फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ के सेट पर एक सीन की शूटिंग के दौरान वो एक हादसे का शिकार हो गई। अस्सी के दशक के प्रसिद्ध अभिनेता भगवान दादा को इस सीन में अभिनेत्री ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था। उन्होंने इतनी जोर का थप्पड़ मारा की ललिता पवार गिर पड़ीं, और उनके कान से खून निकलने लगा। इसके बाद उन्हें डॉक्टर ने गलत दवाएं दे दी, जिसकी वजह से उनके दाहिने अंग में लकवा मार गया। लकवा तो वक्त के साथ ठीक हो गया लेकिन उनकी दाहिनी आंख पूरी तरह सिकुड़ गई और हमेशा के लिए उनका चेहरा खराब हो गया।
Lalita Pawar

इतना सब होने के बावजूद ललिता पवार ने हार नहीं मानी। उन्होंने एक नई शुरुआत की। वो हीरोइन तो नहीं बन पाईं लेकिन उन्होंने निगेटिव रोल करने शुरू कर दिए। इसके बाद उन्होंने कई क्रूर सास के रोल निभाएं और अपनी एक अलग पहचान बना ली। ललिता पवार अच्छी सिंगर भी थीं। साल 1935 में उन्होंने फिल्म ‘हिम्मते मर्दां’ में ‘नील आभा में प्यारा गुलाब रहे, मेरे दिल में प्यारा गुलाब रहे’ गाना गया, जो काफी लोकप्रिय हुआ था। वर्ष 1959 में प्रदर्शित फिल्म अनाड़ी में ललिता पवार ने एक दयालु, लेकिन स्ट्रिक्ट महिला का किरदार निभाया। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस’ का अवॉर्ड मिला। ललिता पवार ने 500 से अधिक फिल्मों में काम किया। वे श्री 420, नौ दो ग्यारह, नीलकमल, अनाड़ी, सौ दिन सास के, बहुरानी और सुजाता जैसी फिल्मों का हिस्सा रहीं।

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इसके बाद ललिता पवार रामानंद सागर की रामायण में मंथरा के रोल में नजर आईं। जहां उन्हें खूब पसंद किया गया। अब जब रामायण का दोबारा टेलीकास्ट हो रहा है तो उन्हें पर्दे पर देखना अच्छा लग रहा है। 18 अप्रैल 1916 को जन्मीं ललिता को जबड़े का कैंसर हो गया था, अपने इलाज के लिए वो पुणे गईं। कैंसर की वजह से न सिर्फ उनका वजन काफी घट गया था बल्कि वो अपनी याद्दाश्त भी खोने लगी थीं। 24 फरवरी 1998 को 82 साल की उम्र में ललिता पवार चल बसीं। उनकी मृत्यु की सूचना दो दिनों बाद मिल पाई, क्योंकि जिस दौरान उनकी मौत हुई, उनके पति राजप्रकाश गुप्ता किसी काम से बाहर गए हुए थे। यदि निरूपा रॉय बॉलीवुड की प्यारी मां रहीं, तो ललिता पवार ठीक उनके विपरीत क्रूर और खतरनाक सास या सौतेली मां रहीं और यदि उन्हें बॉलीवुड की पहली पॉपुलर ‘वैंप’ कहा जाए, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

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