रामदेव के बयान पर भाजपा ने साधी चुप्पी, कांग्रेस कर रही लगातार हमला
देहरादून। एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर सवालों की बौछार करने वाले बाबा रामदेव और उनके बचाव में ट्विटर पर विवादित संदेश जारी करने के मामले में भाजपा और सरकार ने चुप्पी साध ली है। लेकिन मुख्य विपक्षी दल इस मामले में बेहद आक्रामक है और उसने प्रदेश सरकार से इस मामले में बाबा रामदेव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
आचार्य बालकृष्ण ने ट्विटर पर लिखा कि पूरे देश को क्रिश्चियनिटी में कन्वर्ट करने के षड्यंत्र के तहत योग ऋषि रामदेव को बदनाम किया जा रहा है। देशवासियों, अब तो गहरी नींद से जागो। नहीं तो आने वाली पीढ़ियां तुम्हें माफ नहीं करेंगी। बालकृष्ण के इस ट्वीट पर कांग्रेस ने एतराज जताया है। हालांकि पार्टी के हमले के निशाने पर बालकृष्ण के स्थान पर बाबा रामदेव पर ही रहे।
कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा, इस मामले को डायवर्ट करने की कोशिश हो रही है। लेकिन बाबा रामदेव ने चिकित्सा जगत के परिप्रेक्ष्य में जो टिप्पणी की वह बेहद गंभीर है। अगर ये बात किसी और ने कही होती तो वह सींखचों के पीछे होता।
उन्होंने बाबा पर कोरोना के इलाज में दिन-रात जुटे डाक्टरों का मनोबल तोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में इस तरह का षड्यंत्र कर रहे हैं और यह भाजपा और आरएसएस के इशारे पर हो रहा है।
बाबा रामदेव अब लाला रामदेव हो गए : प्रीतम
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि बाबा राम देव अब लाला रामदेव हो गए। यह वही हैं जो 35 रुपये लीटर पेट्रोल बिकवा रहे थे। कह रहे थे कि वोट 70 रुपये लीटर वाले को देना है या 35 रुपये लीटर वाले को।
भाजपा सरकार में चुप्पी
योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के ट्वीट पर भाजपा और सरकार ने चुप्पी साध ली है। उनके मामले में कोई प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया। शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने भी प्रकरण पर कुछ भी कहने से मना किया।
चिकित्सा पद्धतियों को लड़ाना, एक दूसरे का पूरक बनाना है : हरीश रावत
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि आयुर्वेद भारत का चिकित्सा शास्त्र है। इसको कोई पीछे नहीं धकेल सकता है। हमको अलग-अलग चिकित्सा पद्धति को लड़ाना नहीं, बल्कि एक-दूसरे का पूरक बनाना चाहिए।उन्होंने कहा कि यह वायरस अभी अभी आया है।
जिस समय आयुर्वेद व यूनानी पद्धतियां थी, उस समय में ऐसे वायरस नहीं थे। इसलिए किसी पद्धति में ऐसे वायरस से लड़ने की विधि नहीं है, तो हमको नाराज होने की आवश्यकता नहीं है। एलोपैथी भी अभी तक इस वायरस के उपचार का फुलप्रूफ रास्ता नहीं ढूंढ पाई है।
मगर जो जानें बची हैं, उन जानों को बचाने में यदि एलोपैथी का योगदान है तो आयुर्वेद, यूनानी पद्धति यहां तक होम्योपैथी में भी इम्युनिटी आदि बढ़ाने की औषधि व रस आदि देकर मानव की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया है। अपना अपना श्रेय सभी को दिया जाना चाहिए, मगर एक-दूसरे का पूरक समझ कर।