बोले महामहिम, बाबा बुलाएंगे तो जरूर जाएंगे
देहरादून। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इन दिनों उत्तराखंड दौरे पर हैं वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के केदारनाथ दौरे पर असमंजस बना हुआ है। पहाड़ से लेकर मैदान तक हो रही बारिश को देख स्वयं राष्ट्रपति भी दौरे को लेकर संशय में हैं। हरिद्वार में उन्होंने कहा,’कल जाना है देखेंगे वे (बाबा केदार) बुलाएंगे तो जाएंगे नहीं तो बाद में फिर आएंगे। राज्य मौसम केंद्र के अनुसार रविवार को बदरीनाथ और केदारनाथ में बादल छाए रहेंगे और हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। हालांकि शाम तक मौसम साफ होने की संभावना है। दूसरी ओर उत्तराखंड के प्रमुख सचिव (गृह) आनंद वर्धन का कहना है कि फिलहाल दौरे मे कोई बदलाव नहीं है, आगे मौसम को देखते हुए ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
रविवार को राष्ट्रपति बाबा केदार के दर्शनों को जाएंगे, लेकिन मौसम के तेवरों को देख अधिकारी भी असमंजस में हैं। शनिवार को बारिश के कारण केदारनाथ में पुलिस की रिहर्सल नहीं हो पाई। कार्यक्रम के मुताबिक राष्ट्रपति को सुबह करीब सात बजे केदारनाथ पहुंचना है। यहां लगभग चार घंटे बिताने के बाद 11 बजे वह बदरीनाथ के लिए रवाना हो जाएंगे।
गौरतलब है कि इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के केदारनाथ दौरे में मौसम दो बार अड़चन डाल चुका है। 24 अप्रैल 2015 को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के दिन वहां पहुंचने का कार्यक्रम निर्धारित हुआ, लेकिन भारी बर्फबारी के कारण दौरा रद करना पड़ा। इसके बाद 22 जून 2016 को केदारनाथ यात्रा का कार्यक्रम बना। तब उनका हेलीकॉप्टर सोनप्रयाग तक पहुंचा, लेकिन खराब मौसम के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा था। राष्ट्रपति की यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे केदारघाटी के लोगों की आंखें भी आसमान पर टिकी हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि यात्रा में मौसम बाधक नहीं बनेगा।
विदाई के दौर में सक्रिय हुए मानसून ने उत्तराखंड को जमकर भिगोया। पहाड़ से लेकर मैदान तक शुक्रवार रात से शुरू हुआ बारिश का दौर शनिवार को भी जारी रहा। भूस्खलन और जलभराव से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के अलावा कुमाऊं में पिथौरागढ़ की पहाडिय़ों पर भी अच्छी बर्फबारी हुई। मलबा आने से बदरीनाथ के पास लामबगड़ में हाईवे बंद हो गया है, जबकि नैनीताल में भूस्खलन की चपेट में आने से मंदिर ध्वस्त हो गया। प्रशासन ने एहतियातन आसपास के इलाके दर्जनभर परिवारों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया है। दूसरी ओर टिहरी झील का जलस्तर भी 824 मीटर से ऊपर पहुंच गया है। टिहरी की जिलाधिकारी सोनिका ने बताया कि झील में अधिकतम 825 मीटर पानी एकत्र किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है। झील से प्रतिदिन 157 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है।