Uncategorized

वनकर्मियों को भी मिलेगा पुलिस जैसा सम्मान

देहरादून।  ड्यूटी के दौरान शिकारियों व तस्करों के साथ मुठभेड़ अथवा वन्यजीवों के हमले में वनकर्मियों की मृत्यु होने पर अब पुलिस की भांति उनके परिजनों को भी सहायता राशि समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। वन विभाग की ओर से इस बारे में नियमावली का मसौदा तैयार कर इसे परीक्षण के लिए शासन को भेजा गया है। शासन से मंजूरी मिलने के बाद अंतिम मुहर लगाने के लिए इसे मंत्रिमंडल की बैठक में लाया जाएगा। शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों को 15 लाख की आर्थिक सहायता, सेवा की तिथि तक पूरी तनख्वाह और इसके बाद पेंशन देने का प्रावधान है।

विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा में जुटे वनकर्मियों को नित नई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। कहीं आधुनिक हथियारों से लैस शिकारियों व तस्करों से सामना हो रहा तो कहीं वन्यजीव ही जान का सबब बने हैं। उस पर तुर्रा ये कि डॅयूटी के दौरान शहादत दर्ज कराने वाले वनकर्मियों के परिजनों को आर्थिक सहायता राशि समेत अन्य सुविधाएं देने के लिए नियमावली में कोई प्रावधान ही नहीं है।

Advertisements
Ad 13

इस सबको देखते हुए लंबे समय से मांग उठती रही है कि ऐसे मामलों में वनकर्मियों के लिए भी वही मानक रखे जाएं, जो पुलिस के लिए हैं। लंबे इंतजार के बाद अब जाकर सरकार इस दिशा में गंभीर हुई है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की पहल पर इस सिलसिले में नियमावली का मसौदा तैयार कर वित्त विभाग को भेजा गया है। इसमें ड्यूटी के दौरान वनकर्मियों की मृत्यु पर परिजनों को पुलिस की भांति सुविधाएं देने की पैरवी की गई है। इसके साथ ही घायल वनकर्मियों के लिए भी आर्थिक सहायता व उपचार का प्रावधान करने की बात कही गई है।

वन एवं पर्यावरण मंत्री उत्तराखंड डॉ. हरक सिंह रावत के मुताबिक अभी तक नियमावली में ऐसा प्रावधान नहीं था कि ड्यूटी के दौरान किसी वनकर्मी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को आर्थिक सहायता या दूसरी सुविधाएं दी जाएं। अब वनकर्मियों को पुलिस की भांति सुविधाएं देने को नियमावली का मसौदा तैयार कर वित्त विभाग को फाइल भेजी गई है। वित्त से क्लीयर होने के बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button