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इन चीजों के बारे में जानने से जीवन की हर कठिनाई पर पा सकते हैं विजय
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार उन चार चीजों के बारे में जो हर किसी व्यक्ति के लिए जानना जरूरी है।
‘जहां आदर नहीं वहां जाना मत, जो सुनता नहीं उसे समझाना मत, जो पचता नहीं उसे खाना मत और जो सत्य पर भी रुठे उसे मनाना मत।’ – आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य ने अपने इस कथन में चार चीजों का जिक्र किया है। पहली चीज है जहां आदर नहीं वहां जाना मत, दूसरी है- जो सुनता नहीं उसे समझाना मत, तीसरी है- जो पचता नहीं उसे खाना मत और चौथी है- जो सत्य पर भी रुठे उसे मनाना मत। आज हम चाणक्य के इस कथन को एक-एक करके आपको समझाएंगे।
सबसे पहले- बात करते हैं इस कथन की जिसमें आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जहां आदर नहीं वहां जाना मत। आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि जहां पर भी आपका सम्मान ना हो वहां पर आपको कभी भी जाना नहीं चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि सम्मान को खोकर किसी भी व्यक्ति का सिर उठाकर जीना मुश्किल है। अगर कोई भी व्यक्ति आपके सम्मान को चोट पहुंचाए तो उसे उसका जवाब वही दें। अगर आपने एक बार भी इस बात को नजरअंदाज कर दिया तो सामने वाला हो सकता है कि आपको फिर से चोट पहुंचाने की कोशिश करें।
दूसरा है- जो सुनता नहीं उसे समझाना मत। आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि जो व्यक्ति सुनता नहीं है उसे समझाने का कोई मतलब नहीं है। असल जिंदगी में कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति किसी अपने करीबी को कोई बात उसकी भलाई के लिए समझाना चाहता है। हालांकि सामने वाला आपकी बात को ना तो सुनने के लिए और ना ही समझने के लिए तैयार है। ऐसे में आपको उसे समझाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उसे समझाने की आपकी तमाम कोशिशें बेकार ही जाएंगी।
तीसरा है- जो पचता नहीं उसे खाना मत। कई लोगों को खानपान में कई चीजें ऐसी होती हैं जिसे पचाना उन्हें मुश्किल होता है। ऐसे में आप उन चीजों को खाने से बचें। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो आपकी तबीयत बिगड़ सकती है।
चौथा है- जो सत्य पर भी रुठे उसे मनाना मत। सच सुनने की हिम्मत कई लोगों में नहीं होती। हालांकि कई बार ऐसा होता है कि लोग सच कहने की हिम्मत तो जुटा लेते हैं लेकिन सच सुनने की उनमें हिम्मत नहीं होती। यहां तक कि अगर आप उन्हें सच का सामना भी करवाते हैं तो वो आपसे रुठ जाते हैं। ऐसे में आपको ऐसे व्यक्ति को मनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।