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छात्राओं को अंत:वस्त्र उतारने का मुद्दा गरमाया
तिरूवनंतपुरम/नयी दिल्ली। नीट में शामिल होने के लिए अंत:वस्त्र सहित कपड़े उतारने के लिए मजबूर की गई छात्राओं के गुस्साये माता पिता ने कहा है कि वे सीबीएसई और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास इस सिलसिले में शिकायत दर्ज कराएंगे। राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) में नकल रोकने के लिए सीबीएसई के ड्रेस कोड का सख्ती से लागू करने को लेकर केरल के कन्नूर स्थित एक परीक्षा केंद्र में रविवार को एक लड़की से प्रवेश परीक्षा में बैठने से पहले अपने अंत:वस्त्र उतारने को कहा गया।
इस घटना पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने कहा कि ड्रेस कोड के नाम पर ऐसे दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करने को किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि इस सिलसिले में कुछ शिकायतें मिली हैं। उन्होंने कहा कि एक छात्रा से उसका अंत:वस्त्र उतारने के लिए कहा गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि यह घटना सच है तो यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। ऐसी पाबंदी परीक्षाओं में शामिल हो रहे बच्चों को मानसिक रूप से प्रभावित करेगी। केरल बाल अधिकार आयोग ने 10 दिनों में सीबीएसई से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। वहीं, केरल मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सीबीएसई के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है और एक उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। आयोग ने कहा, ‘‘सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक से तीन हफ्तों में एक स्पष्टीरण देने को कहा गया है। कन्नूर जिला पुलिस प्रमुख से भी एक रिपोर्ट देने को कहा गया है।’’
आयोग ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से फौरन हस्तक्षेप करने और मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर सीबीएसई के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सख्त कदम उठाने को कहा है। नीट में शामिल होने के लिए रविवार को 19 वर्षीय एक छात्रा को कन्नूर के परीयारम स्कूल में कथित तौर पर अपना अंत:वस्त्र उतारने के लिए मजबूर किया गया था। छात्रा की मां ने बताया, ‘‘मेरी बेटी परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने के बाद बाहर आई और अपना अंत:वस्त्र मुझे सौंप दिया। उसने बताया कि उसे सीबीएसई ड्रेस कोड के मुताबिक इसे उतारने के लिए कहा गया है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि एक ‘मेटल डिटेक्टर टेस्ट’ में बीप की आवाज आने के बाद निरीक्षक ने उनकी बेटी को यह वस्त्र उतारने का निर्देश था। दरअसल, उसमें धातु का बना एक हुक लगा हुआ था जिसके चलते जांच में ‘बीप’ की आवाज आई।
डाक विभाग के कर्मचारी और एक अन्य अभ्यर्थी के पिता वी राजेश ने कहा कि उनकी बेटी से उसकी जींस पर मौजूद धातु के बटन निकालने को कहा गया। उसे जींस उतारने को कहा गया क्योंकि इसमें जेब थी। ‘‘मुझे अपनी बेटी के लिए दूसरा वस्त्र खरीदने के लिए आनन फानन में एक दुकान जाना पड़ा। जैसे कि यह पर्याप्त नहीं हो, उसे अपना टॉप उतारने को कहा गया।’’ दरअसल, कई परीक्षार्थी नये नियमों से उहापोह में थे। उनसे अंत:वस्त्र उतारने, कमीज की बाजू काटने, नाक-कान के आभूषण उतारने को कहा गया।
कन्नूर जिला पुलिस प्रमुख जी शिव विक्रम ने कहा कि यदि माता पिता या लड़की ने शिकायत दर्ज कराई तो इस सिलसिले में एक मामला दर्ज किया जाएगा। यह मुद्दा राज्य विधानसभा में भी गूंजा। वहीं, पूरी बाजू की कमीज पहने कई छात्रों से कहा गया कि सिर्फ आधी बाजू की कमीज पहन कर ही परीक्षा भवन में जाने की इजाजत है। इसके चलते उनके पास कोई चारा नहीं बचा। उन्हें कैंची से कमीज की बाजू काटने के लिए मजबूर होना पड़ा। जो लोग जूते पहन कर आए थे उन्हें इसे उतारना पड़ा और अपने माता पिता की चप्पलें पहननी पड़ीं।
सीबीएसई ने परीक्षा के लिए नये दिशानिर्देश जारी किए थे जिसके मुताबिक नकल रोकने के लिए सिर्फ जरूरी दस्तावेजों के साथ प्रवेश पत्र लाने को कहा गया था। साथ ही, छात्राओं से कहा गया था कि वे बड़े बटन, बड़ी पिन, ऊंची एड़ी वाले जूते नहीं पहन कर आएं जबकि जबकि छात्रों को कुर्ता पायजामा, पूरी बाजू की कमीज और जूते पहनने की मनाही थी। एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में दाखिला चाह रहे 11 लाख से अधिक उम्मीदवार देश भर में 1900 से अधिक केंद्रों पर कल राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में शामिल हुए। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) यह परीक्षा कराता है। बोर्ड ने 103 शहरों में स्थित परीक्षा केंद्रों पर 490 अधिकारी तैनात किए थे। 1,522 प्रवासी भारतीय (एनआरआई) और 613 विदेशी सहित कुल 11,38,890 छात्र परीक्षा में शामिल हुए।