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दर्द से तड़पते हुए 6 किलोमीटर तक पैदल चली गर्भवती महिला

देहरादून। उत्तराखंड को पृथक राज्य के रूप में अस्तित्व में आये इतने वर्ष बीत जाने के बावजूद आज भी पहाड़ में सुविधाओं का टोटा है। ग्रामीणों की दुश्वारियां सरकारी दावों की पोल खोलती दिखलायी पड़ रही हैं। सूबे के दूरदराज से लेकर राजधानी दून के आसपास बसे ग्रामीणों को भी सुविधाओं के अभाव में रोजाना मुसीबतों से दो चार होना पड़ता है। ऐसा ही एक ताजा प्रकरण प्रकाश में आया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बृहस्पतिवार को उत्तराकशी में नौगांव ब्लाक के रस्टाड़ी कंडाऊ गांव की एक गर्भवती को प्रसव पीड़ा झेलते हुए छह किमी का जोखिम भरा पैदल रास्ता तय कर अस्पताल पहुंचने के लिए मजबूर होना पड़ा। जिले में अब भी करीब डेढ़ सौ से अधिक गर्भवती महिलाएं दूरस्थ गांवों में कैद हैं।
बता दें कि सीमांत जनपद में अधिकांश लिंक मोटर मार्ग और गांवों के पैदल रास्ते बदहाल पड़े हैं। अब बरसात के दौरान स्थिति और भी विकट हो गई है। अलग-थलग पड़े गांवों में कैद गर्भवती महिलाओं और अजन्मे शिशुओं की जान को खतरा पैदा हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने मानसून से पहले ही दुर्गम गांवों में सर्वे कराकर गर्भवती महिलाओं को चिह्नित तो किया, लेकिन इनके सुरक्षित प्रसव के कोई इंतजाम धरातल पर नहीं हुए हैं।अभी दो दिन पहले ही रस्टाड़ी कंडाऊ गांव की एक गर्भवती महिला को खासे जोखिम के साथ नौगांव अस्पताल लाया गया था। अब बृहस्पतिवार को फिर इसी गांव में एक अन्य महिला ललिता देवी को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल ले जाने का संकट खड़ा हो गया।
गांव में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुहैया कराई गई पालकी तो थी, पर गांव का पैदल रास्ता इस हाल में नहीं था कि गर्भवती महिला को पालकी पर सड़क तक लाया जा सके। ऐसे में इस महिला को प्रसव पीड़ा से कराहते हुए छह किमी की दुर्गम दूरी पैदल ही तय करनी पड़ी।