मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, पढ़िये पूरी खबर

नई दिल्ली/देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दाखिल कर दी है। सरकार ने एक समाचार चैनल के सीईओ उमेश शर्मा के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों को निरस्त करने और सीबीआई जांच के आदेश के फैसले के खिलाफ एसएलपी दायर की है।
इसी मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने की पुष्टि की है।
नैनीताल हाईकोर्ट ने मंगलवार को उमेश शर्मा पर दर्ज आपराधिक मुकदमों को निरस्त करने का आदेश दिया था। साथ ही उमेश कुमार की याचिका के पैरा आठ को आधार बनाते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगे आरोपों को देखते हुए सही होगा कि सच सबके सामने आए। कोर्ट का फैसला आने के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल कर दी गई। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने एसएलपी दाखिल करने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि भाजपा उमेश शर्मा के खिलाफ एफआईआर निरस्त करने के फैसले से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने इसे कानूनी दृष्टि से गलत बताया।
उधर, प्रदेश सरकार की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एसएलपी दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश सरकार की एडवोकेट ऑन रिकार्ड वंशजा शुक्ला ने एसएलपी दाखिल करने की पुष्टि की है। बताया कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी सरकार ने उमेश शर्मा के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में दर्ज मुकदमों को निरस्त करने के फैसले और मामले में सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें जल्द एसएलपी स्वीकार होने की उम्मीद है।
कांग्रेस ने मांगा मुख्यमंत्री से इस्तीफा
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिया था। इस फैसले के आधार पर बुधवार को मैदान में उतरी कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री का इस्तीफा न होने तक कांग्रेस अपना विरोध अभियान जारी रखेगी।
हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक समाचार चैनल के सीईओ उमेश कुमार की याचिका को आधार बनाते हुए सीएम पर लगे आरोपों की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था। बुधवार को कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर खुलकर मैदान में उतर आई। कांग्रेस भवन में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पूर्व सीएम हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर प्रदेश सरकार पर हमला बोला।
प्रदेश प्रभारी ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद सीएम को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। कांग्रेस इस मामले को लेकर तब तक आंदोलन करेगी, जब तक सीएम अपना पद नहीं छोड़ देते या उनसे इस्तीफा नहीं लिया जाता।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली सरकार पौने चार साल के कार्यकाल में लोकायुक्त नहीं ला पाई। सत्ता पक्ष के विधायक ही सदन में अपनी सरकार के खिलाफ कार्य स्थगन का प्रस्ताव लेकर आए। अब तो हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। नैतिकता और जांच को प्रभावित न होने देने के आधार पर सीएम को अपना पद छोड़ देना चाहिए।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश कर यह साफ कर दिया है कि उसे प्रदेश की जांच एजेंसी पर भरोसा नहीं है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने भी कहा कांग्रेस इस मामले को ठंडा नहीं होने देगी। सदन के अंदर और बाहर लड़ाई लड़ी जाएगी। प्रेस वार्ता में प्रकाश जोशी, विधायक काजी निजामुद्दीन सहित अन्य कांग्रेस नेता भी शामिल रहे।
कांग्रेस ने राजभवन से भी मांगा समय
प्रदेश सरकार पर चौतरफा दबाव बनाने के लिए कांग्रेस ने सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश को आधार बनाते हुए राज्यपाल से मिलने का फैसला किया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के मुताबिक पूर्व सीएम हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस का विधायक दल राज्यपाल से सीएम के इस्तीफे की मांग को लेकर मिलेगा। इसके लिए राजभवन से समय मांगा गया है। नेता प्रतिपक्ष सहित कांग्रेस के सभी 11 विधायकों का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलेगा। कांग्रेस का मानना है कि हाईकोर्ट की ओर से एफआईआर दर्ज करने और सीबीआई जांच का आदेश होने के बाद सरकार को सत्ता में बने रहने का हक नहीं है।
नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दें सीएम : आप
हाईकोर्ट की ओर से मुख्यमंत्री पर लगे आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश के बाद आम आदमी पार्टी ने भी मोर्चा खोल दिया है। आप ने मुख्यमंत्री से नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग की है। आप पार्टी का कहना है सरकार ने जीरो टॉलरेंस पर प्रदेश की जनता को बरगलाने का काम किया है।
चार सालों में सरकार हर मोर्च पर विफल रही है। अब आप पार्टी व प्रदेश के लोग सरकार के भ्रष्टाचार को टॉलरेट नहीं करेगी। सीएम के इस्तीफा न देने पर सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया जाएगा।
बुधवार को पार्टी कार्यालय में प्रेसवार्ता में प्रदेेश प्रवक्ता नवीन पिर साली, उमा सिसोदिया और रवींद्र आनंद ने कहा कि उत्तराखंड के इतिहास में यह अपने आप में पहला मामला है। कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए मुख्यमंत्री को नैतिकता के आधार पर तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए।
सरकार को सीबीआई जांच में सहयोग करना चाहिए। उमा सिसोदिया ने कहा कि जीरो टॉलरेंस के नाम पर सरकार ने चार साल तक प्रदेश की जनता को बरगलाने का काम किया है। यदि मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो आम आदमी पार्टी सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करेगी।