चिंतन ने किया नाम रौशन
हरिद्वार। देवो की नगरी हरिद्वार निवासी चिन्तन अरोड़ा ने क्लैट मे ऑल इण्डिया रैंक 211वी और जनरल कैटेगरी मे 192वी रैंक हासिल कर हरिद्वार और प्रदेश का नाम रोशन कर दिया। उन्होंने प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है।
उन्होने यह रैंक 47000 बच्चो मे हासिल किया। उन्होने बारहवीं कक्षा के साथ साथ क्लैट की पढ़ाई की थी।बारहवीं कक्षा के साथ साथ क्लैट मे यह रैंक हासिल करना सबसे बड़ी उपलब्धि है। उन्होने सीबीएसई मे 77 प्रतिशत मार्क्स हासिल किया। न्यू हरिद्वार कालोनी निवासी होटल व्यवसायी संदीप अरोड़ा और सोनिया अरोड़ा के बड़े पुत्र है चिन्तन अरोड़ा।
चिन्तन का एक बड़ा संयुक्त परिवार है। इस समय चिंतन और उसका परिवार पूने मे है।चिंतन परिवार सहित सिमबायोसिस लाॅ कालेज मे इन्टरव्यू के लिए गये थे। इन्टरव्यू के बाद जब क्लैट का रिजल्ट आया था तो चिन्तन और उनकी माता सोनिया अरोड़ा ने हरिद्वार फोन करके चिन्तन के दादा जोगेन्द्र सिंह, ताऊ अनिल अरोड़ा, पवन अरोड़ा, सुनील अरोड़ा सहित ताई, भतीजे, भतीजो को दी तो परिवार मे खुशी लहर दौड़ गई। उनके घर दोस्तो और रिश्तेदारो का जमावड़ा लगा रहा था और मिठाईया बांटी।
चिन्तन ने संयुक्त परिवार सहित टीचरो को दिया श्रेय
चिन्तन ने अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने दादा जोगेन्द्र सिंह, पिता संदीप अरोड़ा, माता सोनिया अरोड़ा छोटे भाई अशेष अरोड़ा, ताऊ अनिल अरोड़ा, पवन अरोड़ा, सुनील अरोड़ा सहित पूरे संयुक्त परिवार के साथ साथ अपने देहरादून का कोचिंग टीचरो अमित मित्तल, मनुज मित्तल, अमित गोयल, अजर रब, प्रशांत वशिष्ठ, चन्दन अरोड़ा, चेतन, रिषभ आदि को दिया।चिंतन ने डीपीएस स्कूल को भी श्रेय दिया है। दादा हमेशा चिंतन को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते थे। दादा भी स्वयं एक वकील थे। चिन्तन के सभी ताऊ ने भी उसका हमेशा हौसला बढ़ाया। ताऊ का सपना है कि हमारे घर मे एक अच्छा वकील हो और बाहर नेम प्लेट लगे।दिल्ली से बुआ नीतू अनेजा ने भी हमेशा फोन मे प्रेरित किया।
चिन्तन का लक्ष्य
पत्रकारो के फोन मे पूछने पर चिन्तन ने अपना लक्ष्य जाहिर कर दिया है उनका लक्ष्य एलएलबी के बाद पीसीजे का एग्जाम देना है।वह जज बनना ही चाहते है।
माता पिता और छोटे भाई ने उसकी पढ़ाई मे हमेशा मदद की
माता पिता हर शनिवार रविवार को चिन्तन को कैरियर लांसर कोचिंग के लिए अपने साथ देहरादून ले जाते थे। जब चिन्तन कोचिंग क्लास जाता था तो माता पिता 2-3 घण्टे कार मे बैठे रहते थे। बाकी सोमवार से शुक्रवार को तो बारहवीं कक्षा के लिए डीपीएस जाना होता था। चिन्तन दिन मे 14 घण्टे पढ़ाई करता था। मां सोनिया हमेशा एक ही लाईन बोलकर प्रेरित करती थी कि कोशिश करने वालो की हार नही होती। पिता संदीप हमेशा कहते थे कि बेटा मै अपना सारा काम बिजनेस सहित छोड़कर आपको देहरादून लाता- ले जाता हू। आपको कुछ बनकर दिखाना होगा। मेरी और अपनी मेहनत व्यर्थ जाया ना करे।
छोटा भाई अशेष कम्प्यूटर मे माहिर
12 वर्षीय छोटा भाई अशेष अरोड़ा ने चिन्तन की सारी जरूरी ऑनलाईन चीजे, फार्म खुद भरे और कागजात निकाले।वो हमेशा चिन्तन को प्रेरित करते हुए कहते कि भईया आप बस पढ़ाई पर ध्यान दे। आपके सारे ऑनलाईन फार्म भरने और निकालने की जिम्मेदारी मेरी है। छोटा भाई कम्प्यूटर मे एक्सपर्ट है। गौरतलब है कि छोटा भाई अशेष ने 10 वर्ष की उम्र मे एक सोशल एप बनाया था। और 6 जापानी वीडियो हिंदी मे डब किये थे और उसे अपनी दी थी।
चिन्तन ने पढ़ाई को आसान बनाने की लाजवाब प्लानिंग की
कोचिंग का मैटरियल खत्म करने के बाद अतिरिक्त किताबो से पढ़ाई की थी। पिछले 2008 से 2016 तक के पुराने पेपर भी सोल्व किये थे।
माता पिता मूक बधिरो और दिव्यांगो की सेवा मे सक्रिय
पिता संदीप अरोड़ा देवभूमि बधिर एसोसिशन के प्रदेश अध्यक्ष और 16 संगठनो वाले उत्तराखण्ड दिव्यांग एकता मंच महागठबंधन के प्रदेश संयोजक है। और माता सोनिया अरोड़ा प्रदेश प्रवक्ता के पद पर है।हमेशा दिव्यांगो की कार्य मे लगे रहते है।