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चुनाव प्रचार में पानी की तरह रूपये बहा रही भाजपा

देहरादून। इन दिनों उत्तराखण्ड में चुनाव का मौसम अपने चरम पर है। उत्तराखण्ड समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अब तक खूब जमकर पसीना बहाया है और सिर्फ पसीना ही नहीं पसीने के साथ—साथ धन भी खूब बहा है। यदि चुनाव प्रचार की ही बात की जाये तो पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव को लेकर राजजनीतिक दलों ने अपना काफी प्रचार—प्रसार किया है। इन दलों में भारतीय जनता पार्टी प्रचार करने में सबसे आगे है।

भाजपा ने उत्तराखण्ड समेत पांचों राज्यों में चुनाव के प्रचार पर खूब जमकर धन बहाया है। यदि उत्तराखण्ड की ही बात की जाये तो उत्तराखण्ड में भारतीय जनता पार्टी द्वारा इन दिनों चुनावी विज्ञापनों पर भारी खर्च किया जा रहा है। राज्य के सभी गांवों व शहरों में भाजपा का चुनावी प्रचार आसानी से देखा जा सकता है। राजधानी देहरादून में नगर के हर गली—मौहल्ले में सड़कों पर भाजपा के बड़े—बड़े चुनावी होर्डिंग्स व बैनर नजर आ रहे हैं। वहीं देश के हर बड़े अखबार में प्रथम पृष्ठ पर सिर्फ भाजपा का ही विज्ञापन नजर आ रहा है।

कमोबेश यही आलम टीवी चैनलों और समाचार पोर्टल्स का भी है, जो भाजपा के चुनावी विज्ञापनों से भरे पड़े हैं। जबकि चुनावी विज्ञापनों के मामले में कांग्रेस समेत अन्य दल फिसड्डी साबित हो रहे हैं। हां कुछेक जगह पर कांग्रेस ने भी अब प्रचार करना शुरू कर दिया है किन्तु भारतीय जनता पार्टी का चुनाव प्रचार तो काफी पहले ही शुरू हो चुका था। ये चुनावी प्रचार ठीक उसी तरह से हो रहा है जिस तरह से वर्ष 2014 में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में किया था और मोदी लहर को बनाया था। विज्ञापनों के द्वारा अब फिर से ऐसी लहर पैदा कर किसी भी सूरत में भाजपा पांचों राज्यों पर कब्जा करने की कवायद में जुटी नजर आ रही है।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि नोटबंदी के दौर में जहां देश धन का रोना रो रहा है ऐसे में आखिर भाजपा के पास इतना चुनावी बजट कहां से आ गया। चुनावी विज्ञापनों के जरीये भाजपा के प्रत्याशियों के द्वारा इन दिनों धड़ल्ले से आदर्श आचार संहिता का मखौल उड़ाया जा रहा है। मानों चुनाव आयोग उनकी जेब में हो और वो चुनाव में जैसा चाहे खेल, खेल सकतेे हों।

किन्तु जनता सब देख रही है और समझ भी रही है। चुनाव आयोग भले ही सख्त कदम उठाने से कतरा रहा हो किन्तु जनता जरूर कदम उठायेगी। देश को गुमराह करने वाले नेताओं को अब समझना होगा कि भोली भाली जनता को ज्यादा देर तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।

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