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उत्तराखंड में सर्द हुआ मौसम, देर रात मसूरी-धनोल्टी में हुई बर्फबारी

देहरादून। उत्तराखंड में मौसम का मिज़ाज़ बेहद सर्द हो चुका है। आलम ये है कि दूनघाटी समेत राज्य के कईं स्थानों से सूर्यदेव नदारद हैं। आपको बता दें कि सूबे में देर रात मौसम ने अपना मिजाज बदला। पहाड़ से लेकर मैदान तक बारिश हुई जिससे ठंड बढ़ गई है। राजधानी देहरादून में रात 11.30 बजे जहां बारिश हुई, वहीं पहाड़ों की रानी मसूरी और धनोल्टी में मौसम का पहला हिमपात हुआ।

गौरतलब है कि मौसम विभाग ने 28 दिसंबर को बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई थी। मौसम विभाग का अनुमान सही साबित हुआ और देर रात मसूरी, धनोल्टी और गढ़वाल के ऊंचाई वाले स्थानों में बर्फबारी होने लगी। ताज़ा जानकारी के अनुसार इन जगहों पर ठीकठाक बर्फ़बारी हुई है। वहीं बर्फबारी की खबर सुनकर पर्यटक मसूरी, धनोल्टी और टिहरी की ओर रुख करने लगे।

उत्तराखंड में इन जगहों पर पड़ रही कड़ाके की ठंड

बताते चलें कि उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर राडी और ओरक्षा बैंड क्षेत्र में बर्फबारी के कारण वाहनों की आवाजाही में परेशानी हो रही है। बर्फ जमने के कारण वाहनों के फिसलने का डर बना हुआ है। जिससे जाम की समस्या हो गई है।

मौसम विभाग ने भी सभी जिलों को आगाह किया है कि बर्फबारी के चलते पहाड़ी जिलों की सड़कें अवरुद्ध हो सकती हैं लिहाजा स्थानीय प्रशासन इस हालात से निपटने की जरूरी तैयारी कर लें।

अल्मोड़ा-चंपावत में शू्न्य पर पहुंचा पारा
पहाड़ों पर कड़ाके की ठंड पड़ रही है। कड़ाके की ठंड से चंपावत जिले के नरसिंहडांडा में दो तालाबों के जम जाने से करीब 2000 मछली बीजों (एकदम छोटी मछलियों) की मौत हो गई है।

रविवार को चंपावत और अल्मोड़ा का न्यूनतम तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। नैनीताल और बागेश्वर में न्यूनतम पारा 4 डिग्री सेल्सियस रहा। पिथौरागढ़ में न्यूनतम तापमान अपेक्षाकृत इन शहरों से अधिक था। यहां का न्यूनतम तापमान 7.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। इधर, तराई में अधिकतम तापमान 19 तो न्यूनतम तापमान 2.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र में रविवार की सुबह घने बादल छाए रहे। इससे मौसम काफी ठंडा रहा। लोहाघाट क्षेत्र में नलों का पानी भी जम जा रहा है। कुछ जगह पाइप लाइनें फट गईं हैं।  बागेश्वर जिले के हिमालयी क्षेत्र के गांवों खाती, उंगिया, तीख, वाछम में ठंड का असर अधिक है। यहां भी नलों का पानी जमने लगा है।

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