कांग्रेस के पास हरीश के अलावा कोई विकल्प नहीं
देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में सत्ता की राजनीतिक लड़ाई में तर्क दोनों खेमों के पास है । वोटरों को लुभाने के लिए दोनों तरफ से पिटारे भी खोलने का संदेश है। एक दिन पहले ही घोषणापत्र जारी कर चुकी भाजपा मुफ्त लैपटाप, कृषि ऋण माफी जैसे वादे कर चुकी है तो कांग्रेस बेरोजगारी भत्ता का पासा फेंक चुकी है लेकिन जनता के मन में उठ रहे सवालों का जवाब नहीं मिल रहा है।
सवाल यह कि ज्यादा भरोसा किस पर करें? ऐसे में पूरी लड़ाई अब विश्वसनीयता पर टिक गई है। कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री हरीश रावत के अलावा कोई विकल्प नहीं है और भाजपा की पूरी आशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित है।
उत्तराखंड की सड़कों पर आप घूमें तो दो तरह के पोस्टर दिखेंगे, एक तरफ कांग्रेस का पर्याय बने हरीश रावत दिखेंगे, जो खुद को माटी का बेटा करार देते हुए यह बताने की कोशिश करेंगे कि उन्होंने स्वतंत्र उत्तराखंड की लड़ाई से लेकर हाल में सत्ता पर हक तक के लिए भाजपा से लड़ाई लड़ी है और जीती है। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी के पोस्टर में यह याद दिलाने की कोशिश होती है कि यह प्रदेश अटल ने बनाया था और मोदी संवारेंगे।
दरअसल मोदी पर केंद्रित अभियान भाजपा की मजबूरी भी है और मजबूती भी। कुछ दिनों पहले मोदी ने प्रदेश में एक रैली की थी और वह इतनी अभूतपूर्व थी कि कांग्रेस अपने उपाध्यक्ष राहुल गांधी की रैली करने का साहस नहीं जुटा पाई। कांग्रेस को डर था कि शुरुआत में ही तुलना कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ देगी। अब पूरी कमान रावत के ही हाथ है और वह छोटी छोटी सभाओं पर ध्यान दे रहे हैं।
मगर सवाल यह है कि चार पूर्व मुख्यमंत्रियों वाली पार्टी भाजपा को पूरी तरह मोदी मैजिक पर क्यों निर्भर करना पड़ रहा है। इसका जवाब कांग्रेस और भाजपा नेताओं के अभियान से ही मिलता है। रावत के खिलाफ भाजपा ने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया है लेकिन ऐसा कोई नेता सामने नहीं खड़ा कर पाई है जिसकी छवि बेदाग हो और पूरे उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में जमीनी स्तर पर रावत को सामने से चुनौती दे सके। प्रदेश में भाजपा के जो भी बड़े चेहरे हैं वह अलग अलग पाकेट के नेता माने जाते हैं। उनका प्रभाव भी सीमित है और अब तक के अभियान में उनकी सक्रियता भी उन क्षेत्रों तक सीमित है, जहां टिकट बंटवारे में उनकी चली है।
ऐसे में सिर्फ मोदी ही चेहरा हैं और उनका कामकाज ही मुद्दा है। मोदी की छांव में ही उन सभी नेताओं को समेटने की कोशिश है जो परोक्ष रूप से अपनी-अपनी ताकत बढ़ाने में लगे हैं। विधानसभा की 70 सीटों के लिए मतदान में अब दस दिन भी नहीं बचे हैं और भाजपा नेताओं को भरोसा है कि मोदी ज्यादा से ज्यादा वक्त उत्तराखंड को देंगे। उनकी मौजूदगी ही जनता के मन में उठ रहे उन सवालों का जवाब होगी जो रावत के खिलाफ उठाए जा रहे हैं।