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कांग्रेस ने सोनिया गांधी को चुना अंतरिम अध्यक्ष

नई दिल्ली। राहुल गांधी द्वारा इस्तीफा वापस लेने से इनकार करने के बाद कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने शनिवार को सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया। सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष होंगी। इससे पहले आज दो बार सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई जिसमें नेताओं ने राहुल से इस्तीफा वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। राहुल के नहीं मानने के बाद सीडब्ल्यूसी ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया।

नए अध्यक्ष को लेकर सुबह हुई सीडब्ल्यूसी बैठक के बाद नेताओं ने पांच अलग-अलग समूहों में मंथन किया। इन समूहों के परामर्श की रिपोर्ट के आधार पर सीडब्ल्यूसी ने रात आठ बजे दोबारा बैठक कर निर्णय किया कि राहुल गांधी को पद पर बनाये रखा जाये लेकिन राहुल इसके लिए तैयार नहीं हुए। जिसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति ने सोनिया गांधी से अध्यक्ष बनने का आग्रह किया जिसे उन्होंने थोड़ी ना-नुकर के बाद स्वीकार कर लिया।

देखा जाये तो गांधी परिवार पर पूरी तरह आश्रित देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने नेताओं की लंबी सूची में से एक भी ऐसा नाम नहीं खोज पाई जो पार्टी को नेतृत्व प्रदान कर सके। शनिवार सुबह जब कार्यसमिति की बैठक शुरू हुई थी तो पार्टी नेताओं में यह आम राय बनी कि राहुल गांधी को पार्टी का नेतृत्व करते रहना चाहिए, हालांकि गांधी ने सीडब्ल्यूसी बैठक में पहले ही स्पष्ट कर दिया कि वह अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार नहीं करेंगे।

शनिवार रात 8 बजे दोबारा शुरू हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी काफी मान-मनौव्वल के बाद पहुँचे और थोड़ी देर बाद बाहर आकर संवाददाताओं से कहा कि मुझे कश्मीर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बुलाया गया था क्योंकि वहां से हिंसा की खबरें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि खबरें आ रही हैं कि जम्मू-कश्मीर में हालात खराब हो गए हैं। राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि आखिर कश्मीर में हो क्या रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी चिंतित है क्योंकि जम्मू-कश्मीर से चिंताजनक खबरें आ रही हैं और वहां के हालात के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश को पूरी पारदर्शिता के साथ बताना चाहिए।

इससे पहले, नए अध्यक्ष को लेकर सुबह हुई सीडब्ल्यूसी बैठक के बाद नेताओं ने पांच अलग-अलग समूहों में मंथन किया। इन समूहों के परामर्श की रिपोर्ट के आधार सीडब्ल्यूसी के समक्ष रखी गयी। परामर्श रिपोर्ट में सभी समूहों ने पार्टी की कमान राहुल गांधी के हाथ में ही रखने की सिफारिश की है। देखा जाये तो गांधी परिवार पर पूरी तरह आश्रित देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने नेताओं की लंबी सूची में से एक भी ऐसा नाम नहीं खोज पाई जो पार्टी को नेतृत्व प्रदान कर सके। शनिवार सुबह जब कार्यसमिति की बैठक शुरू हुई थी तब भी पार्टी नेताओं में यह आम राय बनी कि राहुल गांधी को पार्टी का नेतृत्व करते रहना चाहिए, हालांकि गांधी ने सीडब्ल्यूसी बैठक में पहले ही स्पष्ट कर दिया कि वह अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार नहीं करेंगे।
दूसरी ओर, पार्टी संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी और अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके राहुल गांधी ने नया अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया था। सीडब्ल्यूसी के नेताओं ने पांच अलग अलग समूहों- पूर्वोत्तर क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, उत्तर क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र और दक्षिण क्षेत्र- में बांटकर प्रदेश अध्यक्षों, राष्ट्रीय सचिवों तथा कई अन्य पदाधिकारियों के साथ परामर्श बैठकें कीं तथा उनकी राय ली। पूर्वोत्तर क्षेत्र के समूह में अहमद पटेल, अंबिका सोनी, गुलाम नबी आजाद और कई अन्य वरिष्ठ नेता, पूर्वी क्षेत्र के समूह में केसी वेणुगोपाल, कुमारी शैलजा, तरुण गोगोई और कई अन्य वरिष्ठ नेता, उत्तरी क्षेत्र वाले समूह में प्रियंका गांधी वाड्रा, पी. चिदंबरम, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कई अन्य वरिष्ठ नेता, पश्चिमी क्षेत्र के समूह में एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य वरिष्ठ नेता तथा दक्षिणी क्षेत्र के समूह में मनमोहन सिंह, अधीर रंजन चौधरी, आनंद शर्मा तथा कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक इन सभी पांच परामर्श बैठकों में नेताओं के बीच सर्वसम्मति से यह राय बनी कि गांधी ही कांग्रेस का नेतृत्व कर सकते हैं और उन्हें अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहिए।

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