दंगे में बेटे की जान गंवाने के बावजूद शांति का संदेश दे रहा ये शख्स
आसनसोल। पश्चिम बंगाल में भड़की सामुदायिक हिंसा में एक शख्स केे बेटे की जान चली गई, बावजूद इसके उक्त व्यक्ति लोगों से अमन और शांति की अपील कर रहे हैं। दरअसल पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रामनवमी के दिन (25 मार्च, 2018) भड़की सांप्रदायिक हिंसा में बेटे को खोने वाले मस्जिद के इमाम मौलाना इम्दादुल रशीदी क्षेत्र में शांति के मसीहा बने हुए हैं। शनिवार (31 मार्च, 2018) को उन्होंने समर्थकों से अपील की कि अफवाहों पर ध्यान ना दें और झूठी खबरें के खिलाफ एक अभियान चलाएं। रशीदी ने मीडिया से कहा, ‘मैं एक इमाम के रूप में अपनी ड्यूटी कर रहा हूं। नमाज के बाद दुआ से पहले लोगों से कहता हूं कि अफवाहों के खिलाफ अभियान चलाएं और झूठी खबरों पर ध्यान ना दें।’
उन्होंने कहा, ‘मैं सभी से कहता हूं -अगर आप देख नहीं सकते या सत्यता की जांच नहीं कर सकते तो समझ लीजिए यह अफवाहें हैं। नूरानी मस्जिद की दूसरी मंजिल पर स्थित एक कमरे में बैठे रशीदी ने स्थानीय लोगों से यह बातें कहीं।- बुजुर्गों और व्यस्कों से यह बातें कहता हूं। उन्होंने कहा कि यहां बहुत निराधार अफवाएं फैलाई जा रही हैं। इन्हीं अफवाहों की वजहों से माहौल फिर खराब होगा, जबकि धीरे-धीरे लोग अपने घरों में वापस लौट रहे हैं।
रशीदी देशभर की मीडिया में तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने समर्थकों से कहा कि बदले की बात की तो मस्जिद और शहर छोड़कर चले जाएंगे। बीते शुक्रवार और शनिवार को भी समर्थक उनसे मिलने पहुंचे। इस दौरान लोगों ने उनके प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। कुछ लोगों ने दंगे के बाद दिए रशीदी के बयान की भी सराहना की। बता दें कि मौलाना रशीदी के 16 वर्षीय बेटे सिबतुल्ला रशीदी (जिन्होंने इस साल दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा दी थीं।) सांप्रदायिक हिंसा के बाद आसनसोल के रेल पार क्षेत्र से लापता हो गए थे।
बता दें कि मौलाना रशीदी के 16 वर्षीय बेटे सिबतुल्ला रशीदी (जिन्होंने इस साल दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा दी थीं।) सांप्रदायिक हिंसा के बाद आसनसोल के रेल पार क्षेत्र से लापता हो गए थे। इसके बाद बीते शनिवार को पुलिस ने जानकारी दी सिबतुल्ला हत्या मामले में कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है। सभी आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हिंसा मामले में सात अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है।