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देहरादून में खुलेआम उड़ी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ, भरी दोपहरी लंबी कतारों में खड़े नज़र आये अंगूर की बेटी के दीवाने

देहरादून, (त्रिलोक चन्द्र)। देशभर में कोरोनावायरस के कहर के चलते लॉकडाउन किया गया है और आज से पूरे देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण भी प्रारंभ हो गया है। यदि उत्तराखंड की ही बात की जाए तो राज्य की राजधानी देहरादून में सोमवार को एक अजब नजारा देखने को मिला। लॉकडाउन के तीसरे चरण के प्रारंभ होते ही लोग सड़कों पर उमड़ आए और खुलेआम सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। यही नहीं शराब के शौकीन लोग तो दून की सड़कों पर भरी दोपहरी में लंबी कतारों में खड़े नजर आए।

गौरतलब है कि बीते महीने देहरादून में कोरोनावायरस के मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए इसे कुछ समय के लिए रेड जोन में शामिल कर लिया गया था। जिसके बाद यहां लॉकडाउन का बड़ी ही सख्तई के साथ पालन कराया जा रहा था। मगर तीसरा चरण प्रारंभ होने से पूर्व ही देहरादून को रेड जोन से निकालकर कुछ छूट लेते हुए ऑरेंज जोन में शामिल कर लिया गया। इसके चलते सुबह 7:00 बजे से लेकर शाम के 4:00 बजे तक लॉकडाउन में छूट दी गई।

सरकार की इसी छूट का फायदा लोगों ने जमकर उठाया और धड़ल्ले से सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाई। यदि देहरादून की ही बात की जाए तो सुबह 7:00 बजे से लेकर 4:00 बजे तक खुली लगभग सभी दुकानों में ग्राहक बिना किसी सोशल डिस्टेंसिंग के सामान खरीदते नजर आए। कई जगहों पर चाय के स्टॉल भी खुले दिखे, जहां लोग एक दूसरे से सटकर चुस्कियां लेते नजर आए। यही नहीं सरकार के द्वारा दुपहिया वाहनों पर एक सवारी, जबकि फोर व्हीलर पर तीन सवारियों को आने-जाने की अनुमति दी गई है। बावजूद इसके दुपहिया पर दो और कई जगह पर तीन सवारी भी देखी गई। यही आलम कमोबेश चार पहिया वाहनों में भी देखने को मिला, जहां कुछ वाहनों में 3 से अधिक सवारियां बैठी दिखाई दी। ऐसे में सवाल उठता है कि जब इतना कुछ हो रहा था तो हमारी मित्र पुलिस कहां सो रही थी? तो आपको बता दें की राजधानी दून की पुलिस शराबियों को काबू करने में जुटी हुई थी।

जानकर ताज्जुब होगा मगर यह सच है। सोमवार को देहरादून की सड़कों पर अंगूर की बेटी के दीवाने तपती धूप में लंबी-लंबी लाइनें लगाएं खड़े नजर आए। मानों मधुशाला में शराब नहीं अमृत बंट रहा हो। इस दौरान कई लोग यह कहते भी नजर आए कि ऐसी लंबी लाइनें तो उन्होंने राशन खरीदने के लिए भी नहीं देखी। वाकई अगर शराब के शौकीन इन लोगों को राशन खरीदने के लिए घरवालों के द्वारा भेजा जाता तो, शायद ही यह लोग इतनी दीवानगी के साथ सड़कों पर नजर आते। वहीं कई मौकों पर ऐसी लंबी कतारें सिर्फ धार्मिक स्थलों के बाहर ही नज़र आती हैं। मगर दून के शराबियों ने आज एक नया इतिहास भी रच डाला।

घण्टाघर पर शराब की दुकानों के बाहर शराबियों को नियंत्रित करती पुलिस (फोटो: विनर टाइम्स)
घण्टाघर पर शराब की दुकानों के बाहर शराबियों को नियंत्रित करती पुलिस (फोटो: विनर टाइम्स)

वहीं देहरादून पुलिस के जवान बड़ी मुस्तैदी के साथ शराबियों को व्यवस्थित तरीके से शराब मुहैया कराते नजर आए। देहरादून के सभी शराब के ठेकों के बाहर पियक्कड़ों की लंबी-लंबी कतारें नजर आई। देहरादून पुलिस के द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए सड़कों पर काफी दूर तक गोल घेरे बनाए गए थे। यदि शराब के शौकीनों की बात की जाए तो शराब की दुकान खोले जाने की खबर सुनकर शराबियों की बांछें खिल गई थीं। रविवार को ही उन्होंने शराब खरीदने का पूरा कार्यक्रम तय कर लिया था। कई शराबी तो तड़के सुबह ही शराब की दुकाने खुलने से कई घंटो पूर्व दुकानों के बाहर लाइनें लगाकर खड़े हो गए। कईं जगहों पर इन शराबियों के द्वारा हुड़दंग मचाने पर पुलिस ने लाठियां भी भांजी और कुछ देर के लिए ठेकों को बन्द भी करा दिया गया, मगर ये शराबी दुकानों के बाहर व आसपास ही जुटे रहे।

शराब खरीदने के लिए सड़कों पर लगी पियक्कड़ों की लंबी कतार (फोटो: विनर टाइम्स)
शराब खरीदने के लिए सड़कों पर लगी पियक्कड़ों की लंबी कतार (फोटो: विनर टाइम्स)

जब ‘विनर टाइम्स’ ने इन शराबियों में से कुछ से बातचीत करते हुए शराब के प्रति इनकी उत्सुकता का आलम पूछा तो सभी ने अपनी दीवानगी को जाहिर करते हुए अलग-अलग तर्क दिए। एक शराबी से जब हमारे द्वारा पूछा गया कि “क्या कभी मंदिर या किसी अन्य धार्मिक स्थल के बाहर भी ऐसी लाइन लगायी है, तो शराबी से जवाब मिला- अपनी-अपनी श्रद्धा है। हमारी आस्था शराब में है।” मधुशाला के बाहर उमड़ा पियक्कड़ों का ये हुजूम कईं सवालों को जन्म देता है।

शराब की दुकान के बाहर खड़े ग्राहकों से बात करते हुए विनर टाइम्स की टीम
शराब की दुकान के बाहर खड़े ग्राहकों से बात करते हुए विनर टाइम्स की टीम

पहला ये कि लॉकडाउन के दौरान जब सभी का काम-धंधा चौपट हो गया तो लोगों के पास शराब खरीदने के लिए पैसे कहाँ से आये और अगर लोगों के पास पैसे हैं, तो राहत सामग्री बांटकर जनसेवी और सरकारें आखिर किसे राहत पहुंचा रहे हैं। ये बात इसलिए भी पुख्ता हो जाती है क्योंकि शराब की दुकानों के बाहर खड़े लोगों में ज्यादातर लोग मध्यमवर्गीय एवँ गरीब तबके के नज़र आ रहे थे, मगर ऊंचे दामों पर मिल रही शराब खरीदने से उन्हें ज़रा भी गुरेज नहीं था, जो वाकई हैरान करता है। हक़ीक़त का एक चेहरा ये भी है कि 45 दिन शराब न पीकर लोगों ने बता दिया कि वो बिना शराब के जिंदा रह सकते हैं, लेकिन ठेके खोलकर सरकार ने ये जता दिया कि शराब को बेचे बिना वह नहीं रह पाएगी।

देखिए वीडियो:

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