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दिल्ली बनी दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी, पढ़िये पूरी खबर

नई दिल्ली। भारत के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है कि दिल्ली लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन गई है। इसके बाद ढाका (बांग्लादेश), नजामिना (चाड) और मस्कट (ओमान) हैं। सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की बात करें तो पहले पायदान पर भिवाड़ी और दूसरे पर गाजियाबाद है। वहीं तीसरे नंबर पर चीन के शिनजियांग रीजन का उत्तर-पश्चिमी शहर होटन है। वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2021 में यह बात कही गई है। 6,475 शहरों के पॉल्यूशन डेटा  सर्वे में यह भी पता चला कि एक भी शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन के एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स में खरा नहीं उतरा है और कोविड संबंधी गिरावट के बावजूद कुछ क्षेत्रों में स्मॉग बना रहा। सिर्फ न्यू कैलेडोनिया, यूएस वर्जिन आइलैंड्स और प्युर्टो रिको WHO PM2.5 एयर क्वालिटी गाइडलाइंस पर खरे उतरे हैं।

पिछले साल से 15 फीसदी ज्यादा बढ़ा प्रदूषण

रिपोर्ट के अनुसार उत्तर भारत की स्थिति सबसे खराब है। दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में प्रदूषण लगभग 15 प्रतिशत बढ़ा है। यहां वायु प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ की सेप्टी लिमिट से लगभग 20 गुना अधिक था, जिसमें वार्षिक औसत के लिए पीएम2.5 96.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। सेफ्टी लिमिट 5 है।

दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता खराब

दिल्ली का वायु प्रदूषण विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है। दुनिया का सबसे प्रदूषित स्थान राजस्थान का भिवाड़ी है, इसके बाद दिल्ली की पूर्वी सीमा पर उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद जिला। टॉप 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 10 भारत में हैं और ज्यादातर राष्ट्रीय राजधानी के आसपास हैं। टॉप 100 सबसे प्रदूषित स्थानों की सूची में भारत के 63 जगह है। आधे से ज्यादा हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हैं।

रिपोर्ट में 117 शहरों के 6 हजार से अधिक शहरों का हुआ सर्वे

2021 में वैश्विक वायु गुणवत्ता की स्थिति का अवलोकन प्रस्तुत करने वाली यह रिपोर्ट, 117 देशों के 6,475 शहरों के पीएम 2.5 वायु गुणवत्ता डेटा पर आधारित है। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे प्रदूषित राजधानी शहरों में ढाका के बाद दिल्ली के दूसरे स्थान पर है, इसके बाद चाड में एन’जामेना, ताजिकिस्तान में दुशांबे और ओमान में मस्कट है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 भारत में हैं। देश में पीएम-2.5 का वार्षिक औसत स्तर 2021 में 58.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया, जिससे इसमें तीन वर्षों से दर्ज किया जा रहा सुधार थम गया।

लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंच गया पीएम-2.5 का स्तर

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पीएम-2.5 का वार्षिक औसत स्तर 2019 में लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंच गया है। चिंता की बात यह है कि 2021 में कोई भी भारतीय शहर पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के डब्ल्यूएचओ के मानक पर खरा नहीं उतरा।

‘सरकार और निगम प्रशासन के लिए गंभी चिंता का विषय’ 

रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 48 फीसदी शहरों में पीएम-2.5 कणों का स्तर 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक था, जो डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित मानक से दस गुना है। ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेन मैनेजर अविनाश चंचल ने ‘आईक्यूएयर’ के हालिया आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट सरकारों और निगमों के लिए आंखें खोलने वाली है।

उन्होंने कहा कि इससे एक बार फिर साबित होता है कि लोग खतरनाक रूप से प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। वाहनों से होने वाला उत्सर्जन शहरों की आबोहवा में पीएम-2.5 कणों की भारी मौजूदगी के प्रमुख कारकों में से एक है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2021 में वैश्विक स्तर पर कोई भी देश डब्ल्यूएचओ के मानक पर खतरा नहीं उतरा और दुनिया के केवल तीन देशों ने इसे पूरा किया।

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