उत्तराखंड में नहीं घट रहा डेंगू का कहर, 12 और लोगों में हुई डेंगू की पुष्टि
देहरादून। बढ़ती ठंडक के बावजूद डेंगू का ग्राफ नहीं घट रहा है। नवंबर खत्म होने को है और डेंगू के मामलों में निरंतरता बनी हुई है। हर दिन डेंगू दहाई का आंकड़ा छू रहा है।
सर्दियों में मच्छर की इस तरह की सक्रिया से स्वास्थ्य विभाग भी सकते में। सोमवार को भी प्रदेश में 12 और लोग में डेंगू की पुष्टि हुई। देहरादून में सबसे अधिक पांच लोग को डेंगू का डंक लगा है। इसके अलावा ऊधमसिंह नगर में चार और नैनीताल में तीन लोग डेंगू पीड़ित मिले।
इस साल 2234 लोग डेंगू की चपेट में
राज्य में इस साल 2234 लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। इनमें भी सबसे अधिक 1415 मामले देहरादून में आए हैं। जबकि हरिद्वार में 285, पौड़ी में 190, नैनीताल में 184, ऊधमसिंह नगर में 118 और टिहरी में 42 लोगों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है।
बुखार से परिवहन निगम के वरिष्ठ केंद्र प्रभारी की मौत
रुड़की में बुखार की चपेट में आकर परिवहन निगम के वरिष्ठ केंद्र प्रभारी की मौत हो गई। उनका उपचार ऋषिकेश एम्स में चल रहा था। क्षेत्र में बुखार के चलते इससे पहले भी कई लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग इस ओर गंभीरता नहीं दिखा रहा।
परिवहन निगम रुड़की के वरिष्ठ केंद्र प्रभारी विवेक कपूर को करीब 20 दिन पहले बुखार आया था। उन्होंने स्थानीय चिकित्सकों से उपचार कराया, लेकिन 14 नवंबर को उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई। इस पर चिकित्सकों ने उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया। तभी से वह ऋषिकेश एम्स के आइसीयू में भर्ती थी।
रविवार रात को उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। सोमवार सुबह सोलानी श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। बता दें कि शहर और देहात क्षेत्र में बुखार का प्रकोप है। हर दूसरे-तीसरे घर में बुखार से पीड़ित मरीज हैं। मरीज को तेज बुखार के साथ हाथ-पांव व शरीर में दर्द की शिकायत होती है।
सिविल अस्पताल रुड़की के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. संजय कंसल ने बताया कि बुखार होने पर लापरवाही न बरतें। सिविल अस्पताल या फिर किसी निजी विशेषज्ञ चिकित्सक से उपचार कराएं। चिकित्सक की सलाह पर ही दवाएं लें। उपचार में लापरवाही न बरतें। इस समय वायरल बुखार का प्रकोप है। मरीज को घबराने की जरूरत नहीं है। बस उपचार में लापरवाही न करें।