उत्तराखंड मे पैर पसार रहा डेंगू, सरकारी अस्पतालों में इलाज हुआ महंगा
रैंडम डोनर प्लेटलेट्स से ज्यादा सिंगल डोनर प्लेटलेट्स की मांग है। सिंगल डोनर से प्लेटलेट्स का जंबो पैक बनाने के लिए किट का इस्तेमाल किया जाता है। सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीज के लिए जंबो पैक का शुल्क भी बढ़ दिया गया है।
देहरादून। उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में डेंगू मरीजों को सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (जंबो पैक) के लिए नौ हजार रुपये देने पड़ रहे हैं। जबकि निजी अस्पतालों में मरीजों से 12 हजार रुपये की राशि ली जा रही है। डेंगू के मामले बढ़ने से सिंगल डोनर प्लेटलेट्स की मांग बढ रही है। हालांकि आयुष्मान कार्ड पर भर्ती मरीजों के लिए निशुल्क सुविधा है।
प्रदेश के पांच जिलों देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार, पौड़ी व चमोली में डेंगू के 24 मरीज मिले हैं। मैदानी जिलों में डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने से प्लेटलेट्स की मांग भी बढ़ रही है। रैंडम डोनर प्लेटलेट्स से ज्यादा सिंगल डोनर प्लेटलेट्स की मांग है। सिंगल डोनर से प्लेटलेट्स का जंबो पैक बनाने के लिए किट का इस्तेमाल किया जाता है। सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीज के लिए जंबो पैक का शुल्क नौ हजार रुपये लिए जा रहे हैं। जबकि निजी अस्पताल में 12 हजार रुपये है।
गंभीर संक्रमण की स्थिति में मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। सामान्य प्लेटलेट्स यूनिट के मुकाबले सिंगल डोनर प्लेटलेट्स या जंबो पैक मरीज के उपचार में अधिक कारगर होता है। पांच से छह प्लेटलेट्स यूनिट की कमी एक जंबो पैक से पूरी हो जाती है। जिससे जंबो पैक की मांग अधिक है। लेकिन एक गरीब व्यक्ति के लिए 9000 हजार रुपये जुटाना संभव नहीं है। उधर, स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि आयुष्मान कार्ड पर भर्ती मरीजों को निशुल्क इलाज की सुविधा है।
आठ घंटे ही मिल पा रहा जंबो पैक की सुविधा का लाभ
हरिद्वार ब्लड बैंक में केवल आठ घंटे ही मरीजों को जंबो पैक मिल पा रहे हैं। एफरेसिस मशीन के संचालन के लिए अलग से स्टॉफ नहीं है। ब्लड बैंक में एफरेसिस मशीन तो उपलब्ध करवा दी गई, लेकिन स्टॉफ की व्यवस्था नहीं की गई। एक शिफ्ट में एफरेसिस मशीन के संचालन के लिए एक डॉक्टर, एक स्टॉफ नर्स और एक मेडिकल टेक्नीशियन की जरूरत होती है। तीन शिफ्टों में तीन चिकित्सक, तीन स्टॉफ नर्स और तीन मेडिकल टेक्नीशियन उपलब्ध होने पर ही 24 घंटे मशीन को चलाया जा सकता है। स्टॉफ न होने के चलते सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक ही जंबो पैक बन रहे है। केवल इमरजेंसी में जंबो पैक बनाने के लिए एक चिकित्सक की व्यवस्था की गई है।