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शिक्षकों की वरिष्ठता तय नहीं कर पाया विभाग, रुकी हैं 2200 से ज्यादा पदोन्नति

देहरादून। प्रदेश के शिक्षा विभाग में शिक्षकों की नए सिरे से वरिष्ठता तय न होने से 2200 से ज्यादा शिक्षकों की पदोन्नति लटकी हुई है। ट्रिब्यूनल ने 21 अप्रैल 2022 को विभाग को शिक्षकों की तीन महीने के भीतर वरिष्ठता तय करने के आदेश दिए थे। वरिष्ठता तय न होने तक पदोन्नतियों पर रोक लगाई गई थी, लेकिन तय समय पर वरिष्ठता तय न कर पाने वाला विभाग अब ट्रिब्यूनल के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगा।

शिक्षा विभाग में शिक्षकों की वरिष्ठता का मामला पिछले काफी समय से चला आ रहा है। तदर्थ शिक्षकों का कहना है कि उन्हें विभिन्न वर्षों में मिली नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता दी जाए। इस संबंध में 1995 का एक शासनादेश भी है, जबकि सीधी भर्ती के शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं।

उनका कहना है कि तदर्थ शिक्षक 1999 में विनियमित हुए हैं। उन्हें तभी से वरिष्ठता दी जा सकती है। 1979 की तदर्थ सेवा नियमावली के अनुसार विनियमित होने के लिए शिक्षकों की तीन साल की संतोषजनक सेवा होनी जरूरी है, जबकि कुछ शिक्षकों को मात्र 20 दिन की सेवा पर विनियमित कर दिया गया।

शिक्षकों की नए सिरे से वरिष्ठता की जाए तय

प्रकरण ट्रिब्यूनल में पहुंचने पर ट्रिब्यूनल ने 21 अप्रैल 2022 को विभाग को आदेश जारी किया कि तीन महीने के भीतर शिक्षकों की नए सिरे से वरिष्ठता तय की जाए। जब तक वरिष्ठता तय नहीं होती शिक्षकों की पदोन्नति न की जाए, जबकि शिक्षा विभाग का कहना है कि विभाग पूर्व में शिक्षकों की वरिष्ठता तय कर चुका है। ट्रिब्यूनल के इस आदेश से शिक्षकों की पदोन्नति रुकी हैं। जिसके खिलाफ विभाग हाईकोर्ट जाएगा।

ट्रिब्यूनल ने सरकार को आदेश किया है कि तीन माह में वरिष्ठता तय करें चाहें तो कार्मिक व न्याय विभाग से इस संबंध में परामर्श लें, फिर भी विभाग ने वरिष्ठता तय नहीं की। विभाग अब ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है। विभाग को ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन करते हुए वरिष्ठता तय कर शिक्षकों की पदोन्नति करनी चाहिए।

– अंकित जोशी, शाखा अध्यक्ष एससीईआरटी 

ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद शिक्षकों की पदोन्नतियां रुकी है। विभाग इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगा, ताकि विभाग में रुकी पदोन्नतियों का रास्ता साफ हो सके। 

– राकेश कुंवर, शिक्षा निदेशक

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