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देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तौर पर शपथ लेंगे बिपिन रावत

नई दिल्ली। जनरल बिपिन रावत बुधवार (1 जनवरी) को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के तौर पर शपथ लेंगे। वे आज सेना सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे 28वें सेना प्रमुख का पदभार संभालेंगे। जनरल रावत ने बतौर सेना प्रमुख आखिरी बार परेड की सलामी ली।

जनरल रावत ने कहा, “नॉर्दर्न, ईस्टर्न, वेस्टर्न मोर्चे पर तैनात जवानों को शुभकामनाएं देता हूं। बर्फीले इलाकों में तैनात जवानों को भी शुभकामनाएं देता हूं जो अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सेवा में लगे हैं। वे अपने परिवार को छोड़कर सीमा पर तैनात रहते हैं। मुझे विश्वास है कि नरवणे अपनी ड्यूटी को बखूबी निभाएंगे जो सेना प्रमुख का पद संभालने वाले हैं। नरवणे ने पहले भी बेहतर काम किया था।”

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सीडीएस का पद 4 स्टार जनरल के बराबर होगा। जनरल रावत का कार्यकाल 31 दिसंबर से शुरू हो जाएगा, जो अगले आदेश तक जारी रहेगा। सरकार ने सीडीएस की नियुक्ति के लिए सेवा शर्तें भी जारी की हैं। इस पद को संभालने वाले व्यक्ति को कार्यकाल पूरा होने के बाद कोई सरकारी लेने की पात्रता नहीं होगी। पद छोड़ने के बाद 5 साल की अवधि में वह सरकार की इजाजत के बगैर किसी निजी रोजगार को भी हासिल नहीं कर सकेंगे। वर्तमान सेनाध्यक्षों को सीडीएस बनाने के लिए इसकी अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष तय की गई। इसके लिए सर्विसेस के रूल बदले गए।

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आज से लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे नए सेना प्रमुख

थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के सेवानिवृत्त होने के बाद, सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे आज देश के नए सेनाध्यक्ष का पद संभालेंगे। लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे ने 1 सितंबर 2019 को भारतीय सेना के उप-थलसेनाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था। इससे पहले वे सेना की ईस्टर्न कमांड के प्रमुख थे। 37 साल की सेवा में नरवणे जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में तैनात रह चुके हैं। वे कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर इन्फैन्टियर ब्रिगेड की कमान संभाल चुके हैं।

डोकलाम विवाद में चीन को हद बताई
नेशनल डिफेंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी के छात्र रहे लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और अति विशिष्ट सेवा मेडल से अलंकृत किया जा चुका है। नरवणे ही वे आर्मी कमांडर हैं, जिन्होंने डोकलाम संकट के समय चीन को उसकी हद बताई थी।

चीफ आफ डिफेंस स्टाफ क्यों?
वाजपेयी सरकार के 1999 के कारगिल युद्ध की समीक्षा करने वाली रिव्यू कमेटी ने पहली बार सीडीएस की जरूरत को लेकर सुझाव दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 के भाषण में सीडीएस का पद बनाने की घोषणा की थी भारत की रक्षा के लिए सैन्य मामलों में एक ही व्यक्ति के पास सोची समझी सोच विकसित करने के लिए सीडीएस की नियुक्ति की जा रही है। सीडीएस एक तरह से सेनापति होगा, जो तीनों सेनाओं की रणनीति तय कर सकेगा। बदलते युद्ध के तरीकों और चुनौतियों के लिए लिहाज से यह पद जरूरी माना गया। इससे फौज तीन भागों में नहीं बंटी रहेगी। इससे रणनीति, खरीदारी प्रक्रिया और सरकार के पास सैन्य सलाह की सिंगल विंडो बन जाएगी।

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