Breaking NewsNational

देश की खातिर प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद की माँ से सरकार ने कहा, शव मिलने पर ही देंगे पेंशन

नई दिल्ली। देश भक्ति का जज्बा लिए हजारों युवा देश की सेवा के लिए सेना में भर्ती होते हैं। देश की सेवा कर रहे वीर सैनिकों के परिजन भी इनके जज़्बे को देख फक्र महसूस करते हैं। कई बार कलेजे पर पत्थर रखकर माता पिता अपने लाडलों को सेना में जाने की इजाज़त देते हैं। मगर इन अभिभावकों का हौंसला तब टूट जाता है जब ड्यूटी के दौरान उनके बेटे के साथ कोई अनहोनी हो जाती है और सरकार उनकी मदद करने की बजाय उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम करती है। ऐसा ही वाकया देश के लिए शहीद हुए एक सैनिक की माँ के साथ हुआ है।

गौरतलब है कि सेना के शहीद हुए जवान के परिवार के साथ रक्षा लेखा विभाग का बेहद असंवेदनशील रवैया सामने आया है। चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त के दौरान नदी में गिर जाने से शहीद हुए जवान की मां ने पेंशन की गुहार लगाई तो विभाग ने साफ मना कर दिया। कहा कि जब तक शव बरामद नहीं होता पेंशन सुविधा नहीं मिलेगी। यह हाल तब है जबकि सेना ने जवान को बैटल फील्ड में मृत घोषित कर दिया है। बावजूद इसके पेंशन वितरण अथॉरिटी ने पेंशन मंजूर करने से इन्कार कर दिया है। जिससे जवान की मां दर-दर भटकने को मजबूर है।

Advertisements
Ad 13

हिमाचल प्रदेश निवासी जवान रिंकू देवी की मां कमला देवी ने आखिरकार आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल की चंडीगढ़ बेंच का दरवाजा खटखटाया,जिस पर जस्टिस एमएस चौहान और लेफ्टिनेंट जनरल मुनीश सिबल ने नोटिस जारी की है। जम्मू और कश्मीर राइफल्स के जवान रिंकू राम नवंबर 2009 में भारत-चीन रेखा एलएसी पर पेट्रोलिंग कर रहे थे। इस दौरान नदी में गिर जाने से मौत हो गई थी। इस इलाके में शव की खोज आसान नहीं है। रिंकू राम के साथ हादसा होने के बाद सेना ने बैटल कैजुअलिटी करार देकर मृत घोषित कर दिया।

नियमों के मुताबिक तैनाती स्थल पर हिमस्खलन, बाढ़ आदि का शिकार होने पर जवानों को भी युद्ध हादसा माना जाता है। सेना के सक्षम अधिकारियों के स्तर से मौत का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया। जवान बेटे की मौत से परिवार अभी उभरा नहीं था कि रक्षा लेखा विभाग के रवैये ने उन्हें तोड़कर रख दिया। जब मुख्य रक्षा लेखा विभाग, इलाहाबाद के कार्यालय पेंशन की मंजूरी के लिए जवान की मां ने आवेदन किया तो उसे खारिज कर दिया गया। तर्क दिया गया कि जवान का शव नहीं मिला है, इस नाते पेंशन मंजूर नहीं हो सकती। एक वकील का कहना है कि रक्षा लेखा विभाग नियमों की गलत व्याख्या कर ऐसे कई केस रिजेक्ट कर गलत संदेश दे रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button