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सोमवती अमावस्या के अवसर पर हरकी पैड़ी पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

ज्योतिषाचार्यों का दावा है कि सोमवती अमावस्या पर पड़ रहे परिघ और शिव योग के विशेष संयोग में स्नान करने से बेहद ही पुण्य लाभ मिलेगा। मान्यता है कि परिघ योग शत्रुओं पर विजय दिलाता है।

हरिद्वार। सोमवती अमावस्या पर हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी पड़ी है। इस बार सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान करने से श्रद्धालुओं पर भगवान आशुतोष की अपार कृपा बरसेगी। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इस बार अमावस्या सोमवार को पड़ रही है और परिघ योग एवं शिव योग का विशेष संयोग बन रहा है। ऐसा संयोग सैकड़ों वर्षों में ही कभी-कभी आता है। इससे पूर्व यह लगभग 255 वर्ष पहले बना था।

ज्योतिषाचार्यों का दावा है कि सोमवती अमावस्या पर पड़ रहे परिघ और शिव योग के विशेष संयोग में स्नान करने से बेहद ही पुण्य लाभ मिलेगा। मान्यता है कि परिघ योग शत्रुओं पर विजय दिलाता है।

सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। यह वर्ष में केवल एक अथवा दो बार ही पड़ती है। सुबह 03:57 बजे से लेकर यह 11:03 बजे तक है। इसके बाद से पूरे दिन शिव योग रहेगा। मान्यता है कि अमावस्या पर गंगा स्नान करने से देवों के देव महादेव की विशेष कृपा बरसेगी। परिघ योग में गंगा स्नान करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है। इस योग के स्वामी शनिदेव हैं, जबकि शिव योग भक्ति और साधना के लिए सर्वोत्तम है।

शिव योग का है विशेष महत्व
मान्यता है कि इसी योग में रावण ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया था। तब भगवान आशुतोष ने प्रसन्न होकर रावण को त्रिलोक विजेता होने का वरदान और आशीर्वाद दिया था। रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र को रावण तांडव स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस स्तोत्र की रचना रावण द्वारा की गई थी। इस स्तोत्र में रावण ने 17 श्लोंको से भगवान शिव की स्तुति गाई है। शिव योग में ही रावण द्वारा शिव तांडव स्त्रोत की रचना करने का भी प्रमाण मिलता है।

पूरे दिन पंचक, फिर भी नहीं करेंगे प्रभावित
ज्योतिषाचार्य विजेंद्र दत्त का कहना है कि हालांकि इस बार सोमवती अमावस्या परिघ और शिव योग का विशेष संयोग होने के साथ पूरे दिन पंचक भी हैं। उनका मानना है कि पंचकों में कुछ कार्य को करना वर्जित माना जाता है। हालांकि स्नान आदि पर इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ता। सोमवती अमावस्या पर स्नान, दान और पूजा-पाठ करने से विशेष फल मिलता है। स्नान आदि से निवृत्त होकर सूर्य भगवान अर्घ्य देने पर भास्कर भगवान की कृपा बरसेगी।

स्नान और व्रत करने वालों के लिए विशेष फलदायी
ज्योतिषाचार्य विकास जोशी बताते हैं कि सोमवार को पंचाग की भाषा में चंद्रवार कहते हैं। यह दिन भगवान शिव को अति प्रिय है। इसलिए श्रद्घालुओं की ओर से सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। इस दिन कुछ श्रद्घालु भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। सोमवार व्रत के साथ यदि गंगा स्नान किया जाए तो व्रत करने का लाखों गुना पुण्य मिलता है।

इसलिए होता है अमावस्या का विशेष महत्व
चूंकि हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। विवाहित स्त्रियों द्वारा सोमवती अमावस्या के दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का करने का विधान है। साथ ही यह भी कहा गया है कि जो स्त्री यह व्रत करने में सक्षम न हो वह केवल पूजा-पाठ करके भी यह विधान को पूर्ण कर सकती है।

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