डॉनल्ड ट्रंप की यात्रा से ठीक पहले देशभर में विरोध प्रदर्शन, खड़े कर रहे कईं सवाल
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शनिवार देर शाम से अचानक नए सिरे से विरोध-प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं, जो रविवार आते-आते तेजी से बढ़ते हुए दिख रहे हैं। नए सिरे से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन दिल्ली, अलीगढ़, पटना आदि कई जगहों पर होते हुए दिख रहे हैं। अचानक से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन एक आम नागरिक के मन में कई सवाल खड़े कर रहे हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान घटी घटनाओं की कड़ियों को जोड़कर देखने पर जेहन में सवाल उठता है कि कहीं ये सुनियोजित विरोध प्रदर्शन तो नहीं है। आइए तमाम बिंदुओं पर गौर करके सारे पहलुओं को समझने की कोशिश करते हैं।
दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले 71 दिनों से सीएए के विरोध में लोग जमा हैं। प्रदर्शकारी यहां रोड को जाम करके बैठे हैं, जिससे आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इन लोगों को समझा-बुझाकर यहां से हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े को वार्ताकार नियुक्त किया है। इन दोनों वार्ताकारों की कोशिश के बाद शनिवार को शाहीन बाग के प्रदर्शकारी एक तरफ की रोड खोलने को तैयार हो गए। हालांकि कुछ देर बाद ही प्रदर्शकारियों के दूसरे गुट के लोगों ने दोबारा से रोड को बंद करने की कोशिश की। इस घटना से साफ हो गया कि प्रदर्शकारियों के बीच फूट है। अगर आप आंदोलन के इतिहास पर नजर डालें तो जब कभी भी प्रदर्शकारियों के बीच मतभेद के हालात बनते हैं तो उस आंदोलन का खत्म होना तय माना जाता है। शनिवार और रविवार को दिल्ली और अलीगढ़ के अलग-अलग जगहों पर शुरू हुए प्रदर्शन इस बात के संदेह पैदा करते हैं कि कोई पर्दे के पीछे रहकर इस आंदोलन को जिंदा रखना चाहता है।
शनिवार शाम को शाहीन बाग में रास्ता खुलने की खबर आई तो संकेत मिले की अब यह आंदोलन जल्द ही खत्म हो जाएगा, लेकिन देर शाम तक सोशल मीडिया पर अचानक से भीम आर्मी के भड़काऊ विडियो आने लगे। रविवार को भीम आर्मी ने भारत बंद का आह्वान कर दिया। रविवार को भीम आर्मी ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में बड़े स्तर पर शक्ति प्रदर्शन करने की कोशिश की। बिहार के पटना, नवादा, आरा, सीवान, जहानाबाद आदि जगहों पर भीम आर्मी के लोगों ने ट्रेनें रोक दीं।
वहीं दिल्ली में तो भीम आर्मी ने शाहीन बाग की तर्ज पर सीलमपुर में दोबारा से आंदोलन सुलगाने की कोशिश की। जाफराबाद में चक्का जाम कर दिया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि भीम आर्मी कोई राजनीतिक दल नहीं है। यह संगठन उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों तक में सीमित है। ऐसे में सवाल उठता है कि भीम आर्मी ने एक रात में देश के अलग-अलग हिस्सों में इतना बड़ा आंदोलन कैसे खड़ा कर दिया। इतने बड़े आंदोलने के लिए भीम आर्मी के पास पैसे कहां से आए।
जाफराबाद में शनिवार देर रात करीबन 200 से 300 महिलाओं ने आकर मेट्रो के नीचे प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था, जिसके बाद वहां बड़ी संख्या में पुलिस के जवान और अर्द्धसैनिक बलों को तैनात किया गया। महिला प्रदर्शनकारियों को देखते हुए महिला जवानों को भी तैनात किया गया है। अभी फिलहाल जिस रास्ते पर प्रदर्शनकारी बैठे हैं, वहां एक तरफ रोड खुली हुई है जिसकी वजह से जाम भी लग रहा है। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने रोड नंबर 66 जाम कर रखा है, जिस सड़क पर महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं, वह सड़क सीलमपुर को मौजपुर और यमुना विहार से जोड़ती है। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने बताया कि शाहीन बाग की तरह वे भी सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करेंगी।
डॉनल्ड ट्रंप की यात्रा से कुछ घंटे पहले हो रहा ये सब कुछ काफी हैरान करने वाला है और कईं सवालों को जन्म देता है। सीएए के खिलाफ दोबारा से विरोध प्रदर्शन शुरू होने की टाइमिंग भी गौर करने वाली है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप रविवार शाम तक भारत पहुंचेंगे। इससे करीब 24 घंटे पहले देशभर में सीएए के विरोध में दोबारा से विरोध प्रदर्शन सुलगाने की कोशिश हो रही है। भारत सरकार कोशिश कर रही है कि ट्रंप के सामने भारत की अच्छी छवि बने, ताकि वे कोई ऐसी बिजनेस डील करके जाएं जो भारत की आर्थिक स्थिति को सुधारने में कारगर साबित हो। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर भारत ने अंतराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से अपने पक्ष को रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएस जाकर ट्रंप के सामने मीडिया से कह चुके हैं कि जम्मू कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है, वे इसपर किसी और की दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ऐसे में डॉनल्ड ट्रंप की यात्रा से ठीक पहले देशभर में सीएए के विरोध के नाम पर जगह-जगह आंदोलन का दोबारा शुरू होना कई सवाल खड़े करते हैं। दोबारा शुरू हुए आंदोलनों में यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि ट्रंप यूपी के आगरा जाएंगे, गुजरात के अलावा दिल्ली भी आएंगे। वहीं आंदोलन के लिए यूपी और दिल्ली को ही चुना गया है। यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि देश की कई राजनीतिक पार्टियों ने भी ट्रंप के स्वागत के लिए हो रही तैयारियों पर सवाल उठाए हैं। इन सारे पहलुओं को मिलाकर देखने पर काफी कुछ तस्वीर साफ होती दिख रही है।