दून में हुआ हरेला महोत्सव का शुभारंभ
देहरादून। नगर के गांधी पार्क में रविवार को हरेला महोत्सव का शुभारंभ किया गया। पर्यावरण असंतुलन भले ही आज बड़ी समस्या हो, लेकिन उत्तराखंड पर्यावरण के प्रति शुरू से संवेदनशील रहा है। देवभूमि के कई ऐसे पर्व हैं, जो पूरी तरह पर्यावरण को समर्पित हैं। हरेला पर्व भी इन्हीं में से एक है। यह त्योहार संपन्नता, हरियाली, पशुपालन और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। रविवार को गांधी पार्क में धाद संस्था की ओर से एक माह तक चलने वाले हरेला महोत्सव का शुभारंभ करने के बाद प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने ये बातें कहीं। इस मौके पर उन्होंने मशहूर चित्रकार बी मोहन नेगी की याद में गांधी पार्क में चिनार का पौधा रोपा।
नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि धाद के प्रयास से हरेला एक पारंपरिक लोक पर्व से आज उत्तराखंड का प्रमुख पर्यावरण पर्व बन गया है। उन्होंने धाद की ओर से लगातार आठवें साल आयोजित हरेला महोत्सव की सराहना करते हुए लोगों से अधिक से अधिक संख्या में पौधे लगाने की अपील की। इस वर्ष धाद संस्था का हरेला महोत्सव चित्रकार बी मोहन नेगी को समर्पित है। नेगी दा ने गांधी पार्क में बी मोहन नेगी के कविता पोस्टरों की प्रदर्शनी का अनावरण भी किया। इस मौके पर लोक कला केंद्र के कलाकारों ने थड़िया, चौफला और झुमेला नृत्य से लोगों का मन मोह लिया।
इस अवसर पर गति फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने कहा कि हर साल पौधे लगाने के साथ उनकी प्रगति रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने पर्यावरण के सबसे बड़े दुश्मन प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करने की अपील की। लेखक एवं साहित्यकार नंद किशोर हटवाल ने कहा कि अगर स्व. बी मोहन नेगी गढ़वाली कविताओं के पोस्टर नहीं बनाते तो उनकी रचनाएं केवल गीतों तक ही सीमित रह जातीं। इस मौके पर गीता गैरोला, प्रसिद्ध नृत्यांगना रीता ज़ोरावर, साहित्यकार भारती पांडे, धाद के अध्यक्ष हर्ष मणि व्यास और उपाध्यक्ष डीसी नौटियाल ने भी विचार व्यक्त किए
कार्यक्रम के दौरान अखिलेश दास, प्रमोद और हरीश दास के ढोल-दमाऊं और मशकबीन की धुन ने रंग जमा दिया। वहीं, लोक कला केंद्र की रीता भंडारी, बिमला नेगी, मधु कैंतुरा, गरिमा ठाकुरी, बीना चमोली, मीनू चमोली, दीपांजलि कोठारी, सोनम धस्माना ने ‘रामो-रामो डाली ना काटा’ गीत गाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। पूनम नैथानी, नीलिमा धूलिया, सोनिया, कुसुम ने पौधरोपण का लोकगीत ई बांज बुरांश ईं कुलें की डाली… प्रस्तुत किया।
धाद के उपाध्यक्ष डीसी नौटियाल ने सरकार से लोक वाद्य कलाकारों के लिए स्वास्थ्य सहायता का प्रावधान करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हाल ही में लोक कलाकार शिवचरण को सहायता के मिलने में काफी विलंब हुआ। उन्होंने लोक कलाकारों के संरक्षण के लिए सरकारी कार्यक्रमों और सरकार की ओर से सहायता प्राप्त आयोजनों में लोक वाद्य कलाकारों को कार्यक्रम के बजट की 15 प्रतिशत राशि देने और कलाकारों का बीमा कराने की भी मांग की।
धाद संस्था के सचिव तन्मय ममगाईं, राजीव पांथरी, नीलम बिष्ट, मनीषा ममगाईं, लीना रावत, अंजलि रावत, मीनाक्षी जुयाल, प्रभाकर देवरानी, शिवकुमार, तोमर, विजय सिंह बिष्ट, प्रेमलता, ईश मोहन भट्ट, अपूर्व आनंद, गीता भट्ट, नीलम बिष्ट, त्रिलोचन भट्ट, सुरेश भट्ट, विजय जुयाल, कल्पना बहुगुणा, जीबी भंडारी, बीना डंगवाल, रविंद्र सिंह नेगी, विकास बहुगुणा, वीरेश, बृजमोहन उनियाल आदि मौजूद रहे।