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दुष्कर्म की शिकायत करने पर पुलिस ने नहीं की कार्रवाई तो पीड़िता ने आग लगाकर दी जान

बांदा। यूपी में बांदा जिले के बदौसा थाना क्षेत्र में कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म की कोशिश के मामले में पुलिस द्वारा पीड़ित परिवार को ही हिरासत में ले लिए जाने के बाद लड़की ने खुद को आग लगाकर जान दे दी। पीड़िता के परिजनों ने सोमवार को पुलिस अधीक्षक शालिनी पर आरोपी युवकों और थाना पुलिस के पक्ष में खुलकर उतरने का आरोप लगाया।

पुलिस की गलत कारस्तानी से क्षुब्ध होकर जान देने वाली नाबालिग लड़की के चाचा ने सोमवार को फिर दोहराया, “मेरी भतीजी शनिवार सुबह शौच के लिए खेतों की तरफ गई थी, जहां गांव के ही अजय सिंह और माधव ने उसे पकड़ लिया और सामूहिक दुष्कर्म की कोशिश की। जब हम आरोपियों के घर उलाहना देने गए, तो वे उलटे मारपीट पर उतारू हो गए।”

उसने आगे बताया, “हमने 100 डायल कर पुलिस को सूचना दी और पूरी घटना बताई। लेकिन लमेहटा चौकी प्रभारी पहले दोनों पक्ष को अपने साथ ले गए, बाद में आरोपी पक्ष को कुछ दूर ले जाकर छोड़ दिया और हमें थाने के लॉकअप में तब तक बंद किए रहे, जब तक मेरी भतीजी के आत्मदाह करने लेने की सूचना थाने में नहीं आ गई।” उन्होंने कहा, “थानाध्यक्ष मेरी भतीजी की मौत की सूचना मिलने के बाद खुद हमें पुलिस की सरकारी जीप से गांव ले गए।”

उन्होंने पुलिस अधीक्षक शालिनी के उस बयान पर तीखी नाराजगी व्यक्त की, जिसमें उन्होंने झूठी कहानी गढ़ते हुए सोमवार को मीडियाकर्मियों को बताया कि लड़की के भाई ने दो लड़कों के साथ उसे आपत्तिजनक स्थिति में देख लेने के बाद उसकी पिटाई की और इसी ग्लानि से उसने आत्महत्या की है।

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एसपी शालिनी की ‘संवेदनहीनता’ पर आक्रोश प्रकट करते हुए मृतका के चाचा ने कहा, “एसपी साहिबा सिर्फ इतना बता दें कि जब हमारे खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं था तो बदौसा पुलिस 24 घंटे हमें लॉकअप में क्यों बंद किए रही और मेरी भतीजी के शव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सार्वजनिक करें। यदि उसके भाई ने पीटा होगा, तो शरीर पर बाहरी चोटों के निशान तो होंगे।”

उन्होंने यह भी कहा कि लड़की अपने बचाव में दोनों युवकों से भिड़ गई थी और किसी तरह उनकी गिरफ्त से छूटकर भागी। पुलिस ने अगर पीड़िता के परिजनों को लॉकअप में बंद करने के बजाय दोषी युवकों पर कार्रवाई की होती, तो आज उनकी भतीजी जिंदा रहती। उन्होंने आरोप लगाया कि एसपी शालिनी जहां आरोपी युवकों का बचाव कर रही हैं, वहीं दोषी बदौसा पुलिस का भी बचाव कर घटना को नया रूप देने की कोशिश कर रही हैं।

उन्होंने कहा, “एक महिला एसपी का जब एक नाबालिग लड़की के आत्मदाह पर दिल नहीं पसीजा, तो हम किससे न्याय की उम्मीद करें।” उल्लेखनीय है कि रविवार को एक नाबालिग लड़की ने उस समय खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी, जब शिकायत करने के बाद बदौसा पुलिस ने उलटे उसके परिजनों को ही लॉकअप में बंद कर दिया।

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