एक बार फिर हुई भाजपा की किरकिरी
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नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में किरकिरी के बाद भाजपा को अब गुजरात में असहज परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। मेहसाणा नगरपालिका सीट राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के हाथ से निकल गई है। एक साल पहले कांग्रेस के दस पार्षद भाजपा में शामिल हुए थे। अब वे वापस कांग्रेस में चले गए हैं। कांग्रेस के पाला बदलने वाले पार्षदों की मदद से भाजपा मेहसाणा नगरपालिका पर कब्जा जमाने में सफल रही थी। कांग्रेस के रायबेन पटेल को ही अध्यक्ष भी बना दिया गया था। वहीं, भाजपा के कौशिक व्यास को नगरपालिका की स्थाई समिति का प्रमुख बनाया गया था। कुछ दिनों पहले ही पश्चिम बंगाल में भी भाजपा को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था, जब तृणमूल कांग्रेस की नेता मंजू बसु ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। भाजपा ने उपचुनाव में उन्हें अपना उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी थी।
गुजरात में पिछले कुछ दिनों में राजनीतिक घटनाक्रम बहुत तेजी से बदला है। दरअसल, नवंबर, 2015 में नगरपालिका के लिए चुनाव हुए थे। मेहसाणा नगरपालिका में कांग्रेस 44 में से 29 सीटें जीतने में कामयाब रही थी, जबकि भाजपा के खाते में 15 सीटें आई थीं। कांग्रेस तकरीबन एक साल तक मेहसाणा में सत्ता में रही थी। पिछले साल कांग्रेस के 10 पार्षद पाला बदल कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इनमें उनके नेता रायबेन पटेल भी शामिल थे। भाजपा ने उन्हें ही नगरपालिका का अध्यक्ष बना दिया था। मेहसाणा नगरपालिका का गुजरात की राजनीति में बहुत महत्व है, क्योंकि भाजपा विधायक और राज्य के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों में यहां से भारी मतों से जीते थे। इसे नितिन पटेल का गढ़ माना जाता है। उपमुख्यमंत्री ने इस मामले को यह कह कर टाल दिया कि कांग्रेस के पार्षद भाजपा में कभी शामिल ही नहींं हुए थे।
भाजपा की गुजरात से पहले ममता बनर्जी के गढ़ पश्चिम बंगाल में भी किरकिरी हुई थी। दरअसल, कांग्रेस विधायक मधुसूदन घोष की कुछ महीनों पहले मौत होने के कारण नोआपाड़ा सीट खाली हुई थी। यहां 29 जनवरी को उपचुनाव होना है। भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस की पूर्व विधायक मंजू बसु को अपना उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी थी, लेकिन उन्होंने भाजपा के प्रस्ताव को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वफादार सिपाही हैं। मंजू तृणमूल कांग्रेस की टिकट पर दो बार विधायक रह चुकी हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी ने सुनील सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।