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एक बार फिर आपादा की चपेट में उत्तराखण्ड, सुलग रहे देवभूमि के वन

देहरादून। उत्तराखण्ड में एक बार फिर प्राकृतिक आपादा जैसी स्थिति बन गई है। सूबे के अधिकांश जंगल वनाग्नि की चपेट में आकर सुलग रहे हैं। इससे जहां वन संपदा तेजी से स्वाहा हो रही है, वहीं देवभूमि का प्राकृतिक सौदर्य भी नष्ट हो रहा है। राज्य में पारे की उछाल के साथ ही जंगलों की आग ने वन महकमे की बेचैनी बढ़ा दी है। अकेले सोमवार को ही वन क्षेत्रों में आग की 150 से ज्यादा घटनाएं सामने आई। फिर अगले चार दिन तक मौसम का जैसा रुख रहने की संभावना है, उसने चिंता और बढ़ा दी है। इस सबके मद्देनजर वन विभाग ने राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टियां रद कर दी गई हैं। आग पर नियंत्रण के लिए सभी जिलों के जिला प्रशासन के साथ ही अन्य विभागों और ग्रामीणों की मदद लेने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य का शायद ही कोई वन प्रभाग ऐसा होगा, जहां जंगलों में आग न धधक रही हो। पिछले दो दिन से पारे में उछाल और तेज हवा के साथ ही आग की घटनाओं में इजाफा हुआ है। विभागीय आंकड़ों को ही देखें तो रविवार को 65 जगह फायर अलर्ट जारी किया गया, जिनमें से 26 स्थानों पर आग लगी पाई गई। सोमवार को इसमें और इजाफा हुआ।

आरक्षित वन क्षेत्रों में 255 और इससे बाहर 131 फायर अलर्ट जारी किए गए। इनमें से 150 से अधिक स्थानों पर आग लगने का अनुमान है। मैदान से लेकर पहाड़ तक सभी जगह दिनभर ही वन कार्मिक और ग्रामीण आग बुझाने में जुटे रहे। राज्य के नोडल अधिकारी (वनाग्नि) एवं अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक बीपी गुप्ता के अनुसार जंगलों में आग की बढ़ती घटनाओं और मौसम के मिजाज को देखते हुए राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। सभी कार्मिकों की छुट्टियां रद कर दी गई हैं। संसाधनों की कमी होने की दशा में संबंधित क्षेत्र के जिलाधिकारियों की मदद ली जाएगी। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग, पेयजल समेत अन्य विभागों के साथ ही ग्राम व वन पंचायतों का सहयोग लेने के निर्देश जारी किए गए हैं। भारी गुजरेंगे अगले चार दिन जंगलों की आग के लिहाज से अगले चार दिन बेहद भारी गुजर सकते हैं।

मौसम विभाग की ओर से वन विभाग को जारी एडवाइजरी के मुताबिक 25 मई तक मौसम शुष्क रहने के साथ ही पारा अधिक उछाल भरेगा और अपराह्न बाद 20 से 35 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चल सकती है। ऐसे में जंगलों में आग अधिक भड़क सकती है। इसे देखते हुए आग को नियंत्रित करने के मद्देनजर सतर्क रहने की सलाह दी गई है। लोस की याचिका समिति भी करेगी मंथन उत्तराखंड के दौरे पर आई लोकसभा की याचिका समिति भी 24 मई को अल्मोड़ा में उत्तराखंड में दावानल की समीक्षा करेगी। इस मौके पर जंगल की आग से निबटने को दीर्घकालिक कार्ययोजना पर भी मंथन किया जाएगा।

उत्तरकाशी में पिछले पांच दिनों से जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। वनाग्नि से लाखों की वन संपदा तो खाक हो रही रही है। वन्य जीव भी वनाग्नि से प्रभावित हो रहे हैं। यही नहीं वनाग्नि के प्रभाव से आमजन को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। भले ही आग को बुझाने के लिए प्रशासन ने वन विभाग के साथ एसडीआरएफ को भी लगा दिया है, लेकिन उसके बाद भी आग पर काबू नहीं पाया गया है। पोखरी और मनेरा के निकट के जंगल में लगी आग को वन विभाग और एसडीआरएफ की टीम ने बुझाने के प्रयास में लगी है। वहीं शनिवार रात से पोखु देवता मंदिर के पास के जंगल में आग को फायर सर्विस, एसडीआरएफ की टीम ने बामुश्किल बुझाया।

टिहरी के बादशाहीथौल के जंगल भी आग से धधकने लगे हैं। वहीं श्रीनगर में चौरास क्षेत्र के गुठांई के जंगल धधकती आग की चपेट में हैं। चौरास क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की ओर से कोई प्रयास नहीं किए गए। अब जंगल को आग से बचाने के लिए इंद्र देवता पर ही आस है।अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट क्षेत्र के जंगल आग की चपेट में आकर खाक होते जा रहे हैं। इतना ही नही आग के बस्तियों तक पहुंचने से खतरा और अधिक बढ़ता जा रहा है। चंथरिया रेंज की आग गवाड़ वन पंचायत में फैल गई। इससे करीब नौ हेक्टेअर में 2015-16 में रोपे गए बांज, अंगू आदि के करीब 100 पेड़ जलकर स्वाहा हो गए। यह आग लोगों के नाप खेतों तक भी पहुच चुकी है।

क्षेत्र में हालांकि ग्रामीण आग बुझाने में जुटे हैं। गवाड़ के ग्राम प्रधान हिम्मत सिंह ने बताया कि जंगल की आग से वन पंचायत को खासा नुकसान पहुचा है। आग का कहर चाचरी, उखलेख के जंगलों में भी मचा है। चारों तरफ लगी आग से पूरे क्षेत्र में धुंध छाई है। बागेश्वर जिले में जंगलों में आग लगने का दौर जारी है। आग से पूरे वातावरण में धुंध फैल गई है। कुछ दूरी पर भी साफ नही दिख रहा। गरुड़, बागेश्वर, कपकोट के जंगल धधक रहे है। जनपद के कपकोट तहसील मुख्यालय से लगा गाव जालेख के जंगल में लगी आग लगातार फैल रही है। वहीं वन विभाग आग बुझाने में नाकाम हो रहा है।

उत्तराखंड में जंगल की आग

क्षेत्र————–घटनाएं———प्रभावित क्षेत्र——क्षति

गढ़वाल———–252———–520.4———-886237.5

कुमाऊं————219———–466.48———905337

वन्यजीव संगठन–40———–82.136———74121

शिवालिक———206———–107———–190743.5

(नोट: क्षेत्र हेक्टेयर और क्षति रुपये में)

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