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फिर विवादों में दून अस्पताल, मोबाइल चोरी

देहरादून। जनपद का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल ‘दून हास्पिटल’ अक्सर विवादों में रहता है। कभी मरीजों व उनके परिजनों के द्वारा अस्पताल के चिकित्सकों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया जाता है तो कभी मरीजों को उपचार के लिए दवाइयां बाहर से लाने का दबाव बनाने के आरोप लगते रहते हैं। मरीजों और उनके तीमारदारों का तो यहां तक कहना है कि दून अस्पताल की नर्सें मरीजों व उनके साथ आये परिजनों के संग ठीक तरह से व्यवहार न करके बेहद बद्तमीजी से पेश आती हैं। ऐसे में यदि मरीज के रिश्तेदार इसका विरोध करते हैं तो उक्त नर्सों के द्वारा उपचार में गड़बड़ी करने का भय बना रहता है। चूंकि यह सरकारी अस्पताल है तो यहां किसी से कोई पूछने वाला भी नहीं है।

ऐसे कई विवाद हैं जो इस अस्पताल का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं वही इससे अलग अस्पताल की सुरक्षा की यदि बात की जाये तो यहां सुरक्षा ना के बराबर ही नजर आती है। कुछ वर्ष पूर्व दून अस्पताल में हुए हंगामें के बाद प्रशासन द्वारा यहां एक पुलिस चैकी का निर्माण तो करवा दिया गया किन्तु पुलिसकर्मी यहां अपनी ड्यूटी निभाने से कतराते नजर आते हैं। फलस्वरूप अस्पताल के भीतर चोर-उचक्के और टप्पेबाज धड़ल्ले से घूमकर चोरी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।

ऐसा ही एक ताजा मामला प्रकाश में आया है। ‘विनर टाइम्स’ को मिली जानकारी के अनुसार हर्रावाला निवासी निक्की नामक युवक अपनी माता का उपचार करवाने दून अस्पताल में आया हुआ था। गौरतलब है कि निक्की की माता का आॅपरेशन हुआ है और वे अस्पताल के महिला सर्जिकल वार्ड संख्या 1 में भर्ती हैं। निक्की के अनुसार वो अपने कीमती स्मार्ट फोन को चार्जर पर लगाकर कुछ सामान लेने वार्ड से बाहर गया था। जब वह वापस लौटा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा मोबाइल को वहां से चुरा लिया गया था।

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चोरी की घटना की सूचना निक्की ने वार्ड में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों व नर्सों को दी किन्तु किसी के भी द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। उल्टा पीड़ित को ही अहतियात बरतने की नसीहतें देने लगे। ऐसा तब है जब अस्पताल की गैलरी में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, अग्निशमन यंत्र लगे हैं। बंदोबस्त तो सारे मौजूद हैं किन्तु इन वारदातों पर चैकस निगाह रखने वाला कोई नहीं। ये अकेला ऐसा मामला नहीं है। दून अस्पताल में रोजाना ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं जिनमें से कुछेक प्रकाश में आ जाती हैं जबकि ज्यादातर मामलों को अस्पताल प्रशासन द्वारा दबाकर रफादफा कर दिया जाता है। कहना न होगा कि दून अस्पताल अनियमितताओं का केन्द्र एवं चोर-उचक्कों अड्डा व सैरगाह बना हुआ है जहां आसानी से आकर चोरी की वारदातों को अंजाम दिया जा सकता है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर प्रशासन कब चेतेगा ? क्या उसे किसी बड़ी वारदात का इंतजार है।

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