उफ़ान पर गौला नदी, जान जोखिम में डालकर पढ़ने जाने को विवश हैं स्कूली बच्चे : जनसेवी भावना पांडे
देहरादून/लालकुआं। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही जोरदार बारिश की वजह से जहाँ पहाड़वासियों का जीना दुश्वार हो गया है, वहीं बारिश के पानी की वजह से मैदानी क्षेत्रों में बहने वाली नदियां भी उफ़ान पर हैं। नदियों के बढ़े जलस्तर के कारण आसपास रह रहे लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। इस गंभीर समस्या पर प्रसिद्ध जनसेवी एवँ उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने चिंता व्यक्त की है।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने नैनीताल जनपद के हल्द्वानी और लालकुआं क्षेत्र से होकर बहने वाली गौला नदी का ज़िक्र करते हुए कहा कि बरसात के दिनों में गौला नदी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है। इस कारण नदी के किनारे बसे लोगों की जान को खतरा हो जाता है। कईं बार पानी लोगों के घरों में घुस जाता है। बाढ़ की वजह से भूकटाव हो जाता है और खेत-खलिहान बह जाते हैं। स्थानीय लोग डर के साये में जीने को विवश हैं। वहीं गौला नदी को पार कर लालकुआं आने वाले लोगों के सामने भी बड़ा संकट पैदा हो गया है। विशेषतौर पर स्कूली बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर गौला पार करके स्कूल जाने को मजबूर हैं।
उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने कहा कि बीते काफी वर्षों से स्थानीय लोग इस जगह पुल निर्माण की मांग सरकार से करते आ रहे हैं, कईं सरकारें आईं और चली गईं किंतु यहाँ आजतक पुल का निर्माण नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में गौला नदी के पार तकरीबन एक दर्जन से भी अधिक गांव बसे हैं। इन ग्रामीणों को रोज़ाना ही किसी न किसी जरूरी काम से लालकुआं आना पड़ता है। बरसात के दिनों में ग्रामीण अपनी जान हथेली पर लेकर इस नदी को पार कर रहे हैं, वहीं कईं लोग हादसों का शिकार भी हो चुके हैं। कईं बार पानी के तेज बहाव में लोगों की जरूरत का सामान भी बह जाता है किन्तु इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि इन दिनों गौला नदी का जलस्तर काफी बढ़ा हुआ है । ऐसे में गौला नदी के पार रहने वाले लोगों के सामने कई प्रकार की मुसीबतें खड़ी हो गई हैं। यहां के लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मजबूरी में खतरा मोल लेकर नदी पार कर रहे हैं। घर को राशन ले जा रहे लोग, सिर पर कट्टे आदि रखकर नदी पार करते हैं। वहीं गर्भवती महिलाएं, बीमार बुज़ुर्ग व स्कूली बच्चों आदि को कईं कठिनाईयों का सामना कर दूसरे पार जाना पड़ता है। नदी के तेज बहाव की चपेट में आकर कई लोग असमय अपनी जान गंवा चुके हैं।