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घर का मुखिया ही निकला परिवार का कातिल

देहरादून। राजधानी दून की पुलिस ने एक ऐसे वहशी दरिन्दे को गिरफ्तार किया है जिसने अपनी सनक के चलते अपने पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं उक्त शातिर हत्यारा अपने जुर्म को छिपाने के लिए लम्बे समय तक पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहा और उस पर पुलिस का दबाव पड़ा तो वह रहस्यमय ढ़ंग से गायब हो गया। काफी मशक्कत और छानबीन करने के बाद आखिरकार कातिल पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया और पुलिस के सामने अपने जुर्म की पूरी दास्तां उगल दी।

प्राप्त समाचार के अनुसार दिनांक 20-03-15 को थाना पटेलनगर में इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, सेवला कला माजरा निवासी राजीव सिंह पुत्र स्व0 बलबीर सिंह द्वारा अपनी पत्नी गीतिका उम्र 35 वर्ष पुत्री ईशिका उम्र 10 वर्ष पुत्र अरू उम्र 02 वर्ष व सास मिथिलेश उम्र 61 वर्ष का दिनांक 24-01-15 को वैष्णो देवी जाने हेतु कहकर घर से जाना तथा वापस न आने के सम्बन्ध में की रिपोर्ट दर्ज करायी गई थी। जिसकी जाँच में तत्कालीन पुलिस टीम द्वारा राजीव सिंह से पूछताछ की गयी तो उसने पूछताछ में बताया कि उसकी पत्नी व बच्चों नें हरकीपैडी पर आत्महत्या कर ली। इसी वियोग में उसकी सास द्वारा ने भी आत्महत्या कर ली। जिस पर पूर्व पुलिस टीम द्वारा राजीव सिंह को अपने साथ अपने साथ जनपद हरिद्वार ले जाकर हरकीपैडी व भिन्न-भिन्न स्थानों में गुमशुदाओं के शव की तलाश की गयी लेकिन कोई सफलता प्राप्त नही हुयी।

किन्तु कुछ ही समय बाद घटना में नाटकीय मोड आया और पुलिस को राजीव सिंह का दिनांक 21-03-15 को घर पर सुसाईट नोट मिला और वह भी रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गया था। उक्त गुमशुदगी में गुमशुदाओं की तलाश हेतु पूर्व में सम्पूर्ण जनपद स्तर पर विभिन्न टीमों का गठन किया गया तथा गुमशुदाओं की तलाश में विभिन्न स्तरों पर खोजने के अथक प्रयास किये गये थे तत्कालीन पुलिस टीम/एसओजी द्वारा मोबाईल सर्विलांस तथा विभिन्न तकनीकों की सहायता ली गयी थी परन्तु गुमशुदा परिवार के सम्बन्ध में कोई भी जानकारी नही मिल पायी। पूर्व पुलिस टीम / एसओजी द्वारा विभिन्न पहलुओं पर जांच की गयी और राजीव सिंह के मोबाईल को भी हिमाचल प्रदेश की एक लोकल बस से बरामद कर लिया। जिसके अन्दर कोई भी सिम कार्ड नही लगा था। अब पुलिस के पास सर्विलान्स के जरिये राजीव का पता करने का माध्यम भी समाप्त हो चुका था। काफी प्रयास करने के पश्चात भी जब राजीव व उसके परिवार का पता नही चल पाया था तो इस गुमशुदगी को अपहरण के मुकदमे में तरमीम किया गया।
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देहरादून पुलिस द्वारा मामले के खुलासे के लिए पांच टीमों का गठन किया गया। पुलिस द्वारा टीमों को पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली  व बिहार आदि राज्यों में गुमशुदा की तलाश हेतु गुमशुदाओं के फोटो पम्पलेट लेकर भेजा गया तथा स्थानीय स्तर पर भी केबल नेटवर्क के माध्यम से प्रचार प्रसार किया गया था। उपरोक्त गुमशुदाओं की तलाश में वर्ष 2017 में पुनः नवनियुक्त पुलिस टीम द्वारा इस मामले में शुरूआत से जाँच प्रारम्भ की गयी। जाँच के दौरान गुमशुदा के परिजनों से पुलिस टीम द्वारा राजीव सिंह के पैन कार्ड व आधार कार्ड का पता चला। जिनको प्राप्त कर पुलिस टीम द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सभी राष्ट्रीयकृत सरकारी / गैर सरकारी व स्थानीय बैंको में प्राप्त आधार कार्ड व पैन कार्ड पर तलाशे शुरू की गई।

पुलिस को शक हुआ कि राजीव सिह ने कोई एकाउण्ट तो नही खुलवाया है किन्तु तत्काल पुलिस को कोई सफलता नही मिल पायी। इसके अलावा राजीव के आधार कार्ड से सभी जीओ मोबाइल सिम की भी जाँच की गयी लेकिन राजीव के आधार कार्ड से कोई भी सिम जारी नही पाया गया। उसके पश्चात गठित पुलिस टीम द्वारा नये सिरे से राजीव के पैन कार्ड की जाँच शुरू कि तो पुलिस टीम को राजीव सिंह के पैन कार्ड नम्बर के नम्बर से यह जानकारी प्राप्त हुई कि वर्ष 2005 में राजीव सिंह के द्वारा एक कार मारूति 800 रजि. नं. यूए 07 बी 0086 को डीडी मोटर्स देहरादून से एक लोन द्वारा लिया गया था। पुलिस पार्टी के द्वारा लोन के कागजातों को कब्जे में लेकर गहनता से अवलोकन करने पर वोटर कार्ड प्रकाश में आया। जिसमें पता राजीव सिंह पुत्र बलवीर सिंह निवासी 79/1 सुभाषनगर क्लेमेन्टाउन अंकित पाया गया।

इस वोटर आई0कार्ड को राजीव नें अपने लोन एकाउन्ट में आईडी के तौर पर इस्तेमाल किया था। वोटर आईडी कार्ड के आधार पर पुनः सभी राष्ट्रीयकृत बैंको में जाकर राजीव के एकाउण्ट की तलाश की गयी तो यह जानकारी प्राप्त हुई कि राजीव के द्वारा एक एकाउण्ट बैंक आँफ बडोदा सेक्टर 22 चण्डीगढ में अपना खाता खुलवाया हुआ है। इस पर पुलिस टीम का गठन कर तत्काल चण्डीगढ रवाना किया गया। इस पुलिस टीम के द्वारा चण्डीगढ में राजीव सिंह के फोटो पम्पलेट व बैंक शाखा में जाकर राजीव सिंह के पते की तलाश कर राजीव सिंह को पकड कर देहरादून लाया गया।

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पहले राजीव सिंह अपनी पुरानी बातों को ही दोहराता रहा लेकिन फिर विस्तृत पूछताछ व बयानों में राजीव सिंह ने कबूल किया कि इसी के द्वारा अपनी पत्नी गितिका, पुत्री इशिका, पुत्र आरू व सास मिथिलेश का भिन्न-भिन्न तिथियों तथा अलग—अलग स्थानों पर हत्या की है। पूछताछ पर राजीव सिंह द्वारा बताया गया कि उसका वेतन कम था तथा उसकी पत्नी के काफी शौक थे। इस कारण उसका अक्सर पत्नी गीतिका से झगडा होता था। उसने बताया कि उसकी पत्नी के मामा की लडकी प्रगति व उसका परिवार ही सगे थे। प्रगति रिश्ते में आरोपी की साली थी, जिससे वह अक्सर हंसी—मजाक करता रहता था। आरोपी के अनुसार उसकी पत्नी गितिका उस पर बेवजह प्रगति के साथ सम्बन्ध होने के आरोप लगाती थी व शक करती थी। गीतिका अक्सर कहती थी कि अरू सिर्फ मेरा ही लडका है, तुम्हारा लडका नही है। उसने बताया कि उसे शक होने लगा था क्योकि विगत दो वर्षों से राजीव का गितिका के साथ कोई शारिरीक सम्बन्ध नही था। गितिका को उस पर इतना अत्यधिक शक था कि वह अक्सर उसके कार्यालय में फोन करके उसकी उपस्थिति को जानने का प्रयास करती रहती थी।

जब कभी भी राजीव को आँफिस से देर हो जाती थी तो वह कहती थी कि आप फिर प्रगति के साथ मौज मारके आ रहे हो, इस पर उनका अक्सर झगडा होता रहता था। दिसम्बर वर्ष 2014 के दूसरे सप्ताह की बात है उस दिन जब राजीव सिंह बच्चो को स्कूल छोडकर घर आया तो इन दोनो का इसी बात को लेकर फिर झगडा हुआ और झगडा इतना बढा कि राजीव सिंह ने गितिका के सिर पर हाँकी की स्टिक से एक वार कर दिया जिससे वह नीचे गिरी व उसका सिर फर्श के कोने में लगकर फट गया। उसने सोचा कि गितिका मर गयी है। फिर उसने गितिका के शव को एक चद्दर में लपेटकर अपनी मारुति कार की पिछली सीट पर रखकर मसूरी पर ले गया तथा कोल्हूखेत से आगे हनुमान मन्दिर के पास सडक के किनारे खडी कर लोगो से नजरे बचाते हुए शव को गाडी से निकालकर पहाडी से नीचे फेक दिया।

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उसके बाद में राजीव घर आ गया तथा कुछ दिन बाद राजीव ने अपनी पुत्री ईशिका उम्र 10 वर्ष एवं अरू उम्र 02 वर्ष को नारसन से आगे मंगलौर में नहर पटरी से नीचे धक्का मारकरं बहा दिया। राजीव ने बच्चो को मारने कारण यह बताया कि इशिका मानसिक रूप से अस्वस्थ रहती थी तथा अरू छोटा था जिस कारण दोनों का पालन पोषण नही कर पा रहा था व दोनो अपने माँ के बिना नही रह पा रहे थे। बार-बार सास मिथिलेश के अपनी बेटी गितिका व बच्चो के बारे में पूछने से परेशान होने के कारण एक दिन राजीव ने कहा कि वह अपनी सहेली के साथ वैष्णो देवी गयी है तथा इस समय रूडकी में है। वह उनसे मिलाने के बहाने अपनी सास मिथिलेश को रूडकी नहर बाई पटरी पर ले गया और उसे भी धक्का देकर नहर में गिरा दिया। वापस आने के बाद उसके साले आशीष व आदित्य ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया कि वे लोग कहाँ है। उन्ही के दवाब में आकर उसने उनकी गुमशुदगी थाना पटेलनगर पर दर्ज करवायी लेकिन उसी दिन यह लिखकर भी दे दिया कि वह लोग वापस घर आ चुके है।

फिर पटेलनगर पुलिस ने उसे बुलाया तो उसने उन्हे अपनी पत्नी, सास व बच्चों के द्वारा हरिद्वार हरकीपौडी पर आत्महत्या करने की झूठी कहानी बताकर पुलिस को अपनी बातों मे उलझाकर दूसरे दिन एक सुसाईड नोट घर पर छोडकर दिल्ली फरार हो गया। उसने बताया कि एक फोन को उसने तोड दिया था तथा एक फोन को उसने हिमाचल की बस में जानबूझ कर छोड दिया था। उसके बाद उसने एरोमा होटल चण्डीगढ में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करी फिर उसने सुभाष मंगत कम्पनी में बतौर एकाउण्टेट नौकरी करना शुरू कर दिया। उसने अपना सैलरी एकाउण्ट बैंक आँफ बडोदा की शाखा चण्डीगढ में अपने वोटर आईडी कार्ड के माध्यम से खुलवाया था। उसने कहा कि उसे नहीं पता कि पता कि पुलिस उस तक कैसे पहुँची।

उपरोक्त अभियुक्त राजीव की गिरफ्तारी के पश्चात उसके बताये गये स्थानों पर राजीव को साथ लेकर मृतिका गितिका के शव की बरामदगी हेतु व्यापक स्तर पर मसूरी रोड पर कोल्हूखेत के आस पास के पहाडी ढलानी क्षेत्रों में विभिन्न टीमों को लगाकर तलाशी अभियान चलाया गया एवं वहाँ पर आस पास के काफी लोगों से पूछताछ की गयी तो यह जानकारी मिली कि दिनांक 10-03-2015 को एक अज्ञात महिला का शव कोल्हूखेत के आगे हनुमान मन्दिर के आगे नीचे 30- 40 फुट ढलान पर मिला था। जिसका पंचायतनामा थाना मसूरी पुलिस द्वारा भरा गया था। जिसके आधार पर एक पुलिस टीम थाना मसूरी से मृतिका गितिका के कपडे व अगुँठी व आवश्यक कागजात कब्जे में लिये।

थाना मसूरी में पुलिस टीम के साथ में गये मृतिका गितिका के भाई आदित्य व आशीष ने मृतिका से सम्बन्धित कपडे व अगूँठी की शिनाख्त की गयी । मृतिका मिथिलेश तथा अन्य मृतको के शव की तलाश हेतु एक पुलिस टीम को रूडकी, नारसन, मंगलौर व पुरकाजी भेजा गया था। काफी तलाशी अभियान चलाने के बावजूद भी अभी तक मृतिका / गुमशुदा मिथिलेश, इशिका व अरू के शव बरामद नही हो पाये है। अन्य शवों की तलाश हेतु जनपद मुजफ्फरनगर, सहारनपुर व हरिद्वार के डीसीआरबी से अज्ञात शवों का डाटा मगाँया जा रहा है।

बरामदगी माल :-
– मृतिका श्रीमती मिथिलेश (सास) का एटीएम कार्ड, पासबुक व राशन कार्ड की छायाप्रति अभियुक्त के कब्जे से बरामद।
– अभियुक्त की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त मारूति 800 कार बरामद।
– थाना मसूरी से मृतिका गितिका (पत्नी) के कपडे, अगुँठी जिसे अभियुक्त व मृतिका के भाईयों ने शिनाख्त किया है।
– थाना मसूरी से पोस्टमार्टम से प्राप्त मृतिका गितिका की हड्डियों को डीएनए हेतु संरक्षित किया गया।

नाम पता अभियुक्तः-

राजीव सिंह पुत्र स्व0 बलबीर सिंह निवासी 15 इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव शिमला बाईपास सेवला कला माजरा थाना पटेलनगर

अभियुक्त की शैक्षणिक योग्यता- वर्ष 1994 में एमकाम. किया है तथा अभियुक्त एकाउन्टेंट के कार्य व टेली साप्टवेयर में दक्ष है जिसके फलस्वरूप अभियुक्त्त द्वारा दो वर्ष तक अपने आधार कार्ड एवं पैन कार्ड का किसी भी एकाउन्ट खुलवाने में प्रयोग नही किया गया जिससे वह पकड में नही आ सका। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून स्वीटी अग्रवाल द्वारा पुलिस टीम की भूरी-भूरी प्रंशसा करते हुये 2500/रूपये नगद पुरूस्कार की घोषण की गयी व मृतका गीतिका के परिजनों द्वारा गुमशुदाओं के पता लगने की कोई आस न होने पर भी पुलिस टीम द्वारा किये गये सराहनीय कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा की गयी।
पुलिस टीमः-
क्षेत्राधिकारी सदर  लोकेश्वर सिंह, प्रभारी निरीक्षक रितेश साह , वरिष्ठ उनि. हेमन्त खण्डूरी, उनि. रविन्द्र शाह, उनि. विपिन बहुगुणा, उ.नि0 नरोत्तम सिंह विष्ट, उ0नि0 प्रशि शोएब अली, का0 राजीव, का0 सुशील व  का0 राजेश आदि।

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