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हामिद अंसारी ने बयां किया अपना दर्द
नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने कहा कि सरकार की नीतियों की स्वतंत्र और बेबाक आलोचना को अनुमति नहीं देने पर लोकतांत्रिक व्यवस्था पतन की ओर बढ़ते हुये निरंकुश होने लगती है। राज्यसभा में बतौर सभापति अपने एक दशक के कार्यकाल के अंतिम दिन आज अंसारी ने अपने विदाई भाषण में यह बात कही। अंसारी ने पूर्व उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उद्धृत करते हुये कहा कि ‘‘लोकतंत्र तब पतनोन्मुखी होकर निरंकुश होने लगता है जब विपक्षी दलों को सरकार की नीतियों की स्वतंत्र और बेबाक आलोचना करने की इजाजत नहीं दी जाये।’’
हालांकि उन्होंने आगाह भी किया कि आलोचना करने के सदस्यों के अधिकार को संसद की कार्यवाही में मनमाफिक बाधा पहुंचाने के अधिकार तक नहीं ले जाने दिया जा सकता है। इसलिये सदन में सभी के अपने पास अगर अधिकार हैं तो दायित्व भी हैं। साथ ही अंसारी ने यह भी कहा कि ‘‘लोकतंत्र में अल्पसंख्यक समूहों के संरक्षण की विशिष्टता भी निहित है लेकिन साथ ही इन समूहों की अपनी कुछ जिम्मेदारियां भी हैं।’’ उन्होंने सदन में शोर शराबे और हंगामे के बीच जल्दबाजी में कानून बनाने से बचने की नसीहत देते हुये कहा कि राज्यसभा लोकतंत्र का पवित्र स्तंभ है जिसमें बहस और चर्चाएं बाधक नहीं, बल्कि ये सूझबूझ भरे फैसलों के लिये अत्यावश्यक कार्यवाही हैं।
अंसारी ने सभापति के आसन को क्रिकेट के अंपायर या हॉकी के रैफरी की तरह बताते हुये कहा कि इस भूमिका में आसन खेल और खिलाड़ियों को देख तो सकता है लेकिन खुद खिलाड़ी नहीं बन सकता है। स्पष्ट है कि नियमों से आबद्ध आसन को नियमों के दायरे में ही सदन का संचालन करना होता है। उन्होंने बीते एक दशक में सदन के कुशल संचालन में सभी सदस्यों के सकारात्मक सहयोग की भूमिका को मुख्य रूप से उत्तरदायी बताया। उन्होंने समूचे सदन की उनके लिये व्यक्त की गईं भावनाओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिये उर्दू का शेर पढ़ते हुये कहा कि ‘‘मुझपे इल्जाम इतने लगाये गये, कि बेगुनाही के अंदाज जाते रहे।’’
अंसारी ने सदन के एक दिवंगत सदस्य द्वारा उन्हें कार्यभार संभालते समय दी गई सलाह को अपने सफल कार्यकाल का सूत्र बताया। अंसारी ने कहा कि उक्त सदस्य ने कहा था कि ‘‘कल के बाद आपको बहुत तकलीफ होगी, मुझे आपसे हमदर्दी है कि आप इसे झेल जायें और सलाह भी है कि हम लोग कितना भी हल्ला करें, आप अपने चेहरे पर गुस्सा मत दिखाइये और हमेशा हंसते रहिये। हम सब के सब लोग देश के दुश्मन नहीं हैं, लेकिन हम सब एक मुस्कान पर फिदा हो जाते हैं और चुपचाप बैठ जाते हैं।’’ अंसारी ने कहा कि इस सलाह ने मेरी राह आसान बना दी। अंसारी ने कहा कि अब जबकि मैं दायित्व मुक्त हो रहा हूं, मेरी इच्छा है कि आप सभी इस सदन के प्रति अपनी जिम्मेदारी ऐसे ही निभाते रहें।