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हॉस्पिटल के बाहर खड़े रहते हैं ट्रक, सीधे कब्रिस्तान ले जा रहे शव, पढ़िये पूरी खबर

वाॅशिंगटन। संक्रमितों की संख्या डेढ़ लाख तक पहुंचने पर अमेरिका खौफजदा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि साेशल डिस्टेंसिंग नहीं रखी ताे देश में 22 लाख तक मौतें हो सकती हैं। यह आंकड़ा हम 1 लाख पर राेक लें तो समझें कि हमने अच्छा काम किया है। ट्रम्प ने साेशल डिस्टेंसिंग 30 अप्रैल तक बढ़ाते हुए भरोसा दिलाया कि हम 1 जून से रिकवरी की राह पर हाेंगे। 12 अप्रैल काे ईस्टर है। तब तक मौतें चरम पर होंगी। डॉक्टरों ने भी चेताया है कि अभी पाबंदियां नहीं लगाईं तो 2 लाख से ज्यादा मौतें हो सकती हैं। शीर्ष संक्रमण विशेषज्ञ डॉ. एंथनी एस. फॉसी ने साइंटिफिक मॉडल के आधार पर यह आकलन किया है। वहीं, न्यूयॉर्क के अस्पताल में पीड़ितों का इलाज कर रहीं भारतीय डॉक्टर ठाकुर ने बताया ने कहा कि यहां हालात भयावह हैं। अस्पताल के नीचे ट्रक तैयार रहता है। किसी व्यक्ति की मौत होते ही उसका शव दफनाने के लिए सीधे कब्रिस्तान ले जाते हैं।

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ई-सिगरेट से युवाओं में संक्रमण ज्यादा फैला

डॉ. ठाकुर ने बताया, ” मैं 12 साल से न्यूयॉर्क के अस्पताल में फिजीशियन हूं। जब कोरोना का पहला मरीज अस्पताल में आया तो किसी को अंदाजा तक नहीं था कि हालात कितने भयावह होने जा रहे हैं। पहले केस के बाद ताे अस्पताल में पाॅजिटिव मरीजों की कतार लग गई। अकेले न्यूयॉर्क में एक हजार से ज्यादा माैतें हाे चुकी हैं। इनमें तीन भारतीय भी हैं। ई-सिगरेट के चलन की वजह से युवाओं में भी यह संक्रमण खूब फैला। हमारे अस्पताल में पीड़िताें के लिए छह हजार बेड तैयार हैं। सिद्धांतों के चलते मौत का तांडव बयां नहीं कर सकती। हां, इतना जरूर है कि हालात भयावह हैं। अस्पताल के नीचे ट्रक तैयार रहता है। किसी व्यक्ति की मौत होते ही उसका शव दफनाने के लिए सीधे कब्रिस्तान ले जाते हैं। मरीज इतने ज्यादा हैं कि हमें बचाव किट भी 8 दिन के अंतराल पर मिलती है। मैंने और सहयोगी डॉक्टरों ने एक ही मास्क कई दिन पहनकर काम किया।

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एक दिन पहले ही मिला एन-95 मास्क

डॉ. ठाकुर ने बताया, ”एन-95 मास्क तो हमें एक दिन पहले ही मिला। लगातार 20 दिन 18-20 घंटे काम के बाद एक दिन की छुट्‌टी मिली है। मेरी टीम में 25 लाेग थे, जिनमें से 22 संक्रमित हाे गए। अब हम तीन बचे हैं। छुट्‌टी पर मैं भले घर पर हूं लेकिन पति और बच्चों से दूर रहती हूं। सेल्फ क्वारेंटाइन हूं। हम डॉक्टर हैं इसलिए ग्राॅसरी या अन्य जरूरी चीजों के लिए स्टोर्स में कताराें में नहीं लगना पड़ता। हम सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा घर में रहने के सामान्य सुझाव मानेंगे ताे ही इस अदृश्य शत्रु से जीत सकते हैं। अस्पताल में क्लीनिकल रिसर्च जारी है। ठीक हुए मरीजों का प्लाज्मा लेकर पता किया जा रहा है कि कौन सी दवाई ज्यादा कारगर है।”

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